नई दिल्लीः 24 मार्च को हर साल टीबी को लेकर जागरुकता के लिए विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है. टीबी एक बैक्टीरिया से होने वाली संक्रामक बीमारी है. हैरानी की बात है कि 40 फीसदी मरीज टीबी के लक्षण नहीं पहचान पाते हैं. इसको लेकर समय-समय पर हर साल कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, ताकि लोगों के बीच जागरुकता फैलायी जा सके. इसी कड़ी में दिल्ली के महरौली स्थित राष्ट्रीय क्षय एव श्वसन रोग संस्थान टीबी अस्पताल में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें अस्पताल के अंदर भर्ती मरीजों से सवाल-जवाब किए गए और टीवी के लक्षण के बारे में जानकारी दी गई.
राष्ट्रीय क्षय एव श्वसन रोग संस्थान के वरिष्ठ डॉक्टर एमएम पुरी ने बताया कि अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार 24 मार्च 1882 को डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने टीबी रोग के लिए जिम्मेदार माइक्रोबैक्टीरियल ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया की खोज की थी. डॉ. रॉबर्ट कोच की ये खोज आगे चलकर टीबी के इलाज में बहुत मददगार साबित हुई. हमें समाज टीबी के प्रति जागरुकता बढ़ाने की जरूरत है. स्वास्थ्य विभाग टीबी मरीज खोज अभियान चला रहा है. टीबी का इलाज संभव है. इसके बाद भी प्रतिवर्ष देश में 5 लाख मौतें हो रही हैं, जोकि विश्व का 32 फीसदी हैं.
उन्होंने बताया कि इलाज बीच में छोड़ना और चिकित्सक के परामर्श के अनुरूप दवाएं न लेना, इसकी वजह है. अभी टीबी का इलाज छह माह तक चलता है. कई मरीज इस वजह से भी दवा बीच में छोड़ देते हैं. टीवी कोई लाइलाज नहीं है. टीवी ऐसी बीमारी है जिससे जंग जीती जाती है, लेकिन लोग इसे समय रहते इस बीमारी की जांच कराएं और साथ ही साथ समय पर दवा लें. कई मरीज ऐसे भी होते हैं, जिन्हें टीवी घातक प्रकार की होती है. उनका इलाज 1 या 2 साल तक हो जाता है, लेकिन शुरुआती महीने की बात करें तो 6 महीने तक इसका इलाज चलता है.