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Published : Jan 18, 2021, 11:19 AM IST

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सबसे बड़ी लूट में छह साल बाद दर्ज हुई FIR, मैच फ़िक्सर राजेश कालरा ने की थी गड़बड़ी

29 जनवरी 2014 को लाजपत नगर इलाके में दिल्ली की सबसे बड़ी लूट हुई थी. बदमाशों ने कार में रुपये लेकर जा रहे लोगों से उनकी गाड़ी लूट ली थी. शिकायतकर्ता ने गाड़ी में 7 करोड़ रुपये होने की बात कही थी. लेकिन जांच के दौरान पता चला कि गाड़ी में 5.5 करोड़ रुपये रखे हुए थे. यह रकम मैच फिक्सिंग मामले में आरोपी रहे राजेश कालरा और गुड़गांव के कारोबारी राहुल आहूजा की थी.

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सबसे बड़ी लूट में छह साल बाद दर्ज हुई FIR

नई दिल्ली:दिल्ली के लाजपत नगर में हुई सबसे बड़ी लूट (5.5 करोड़ रुपये) के मामले में पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है जिनकी यह रकम थी. स्पेशल सेल में दर्ज मामले में बताया गया है कि आरोपियों ने अपनी रकम को पाने के लिए जांच अधिकारी के समक्ष दो करोड़ रुपये के फर्जी बिल जमा करवाये हैं. इस मामले में आरोपी राजेश कालरा वर्ष 2000 के चर्चित मैच फिक्सिंग मामले में भी शामिल था.


जानकारी के अनुसार 29 जनवरी 2014 को लाजपत नगर इलाके में दिल्ली की सबसे बड़ी लूट हुई थी. बदमाशों ने कार में रुपये लेकर जा रहे लोगों से उनकी गाड़ी लूट ली थी. शिकायतकर्ता ने गाड़ी में 7 करोड़ रुपये होने की बात कही थी. लेकिन जांच के दौरान पता चला कि गाड़ी में 5.5 करोड़ रुपये रखे हुए थे. यह रकम मैच फिक्सिंग मामले में आरोपी रहे राजेश कालरा और गुड़गांव के कारोबारी राहुल आहूजा की थी. इस मामले में कुल 14 लोगों को गिरफ्तार हुए और एक नाबालिग को पकड़ा गया था. उनसे 4.78 करोड़ रुपये नकद एवं लूट की रकम से खरीदी गई गाड़ी बरामद हुई थी. इस मामले की जांच स्पेशल सेल को सौंप दी गई थी.


बैंक में रुपये जमा कराने जा रहा था कर्मचारी
स्पेशल सेल को जांच में पता चला कि जिस राजेश कालरा के रुपए लूटे गए थे वह वर्ष 2000 में हुई मैच फिक्सिंग में शामिल था. इस मामले में दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोनिए का नाम मैच फिक्सिंग में सामने आया था. इस मामले में आरोपपत्र में भी राजेश कालरा का नाम दिया गया था. इस वारदात के समय आहूजा का मैनेजर राकेश कुमार इस रकम को लेकर तीन अलग-अलग बैंक में जमा कराने के लिए कनॉट प्लेस, मोती नगर और करोल बाग जा रहा था. राजेश कालरा का कर्मचारी इस वारदात का मास्टरमाइंड था.





रुपये वापस पाने ले लिए जमा कराए फर्जी बिल
पुलिस की तरफ से इस रकम को लेकर राजेश कालरा से जवाब मांगा गया. जांच के दौरान इस रकम को लेकर फर्जी बिल राजेश कालरा और आहूजा की तरफ से जमा कराए गए. राजेश कालरा ने हीरे की खरीद-फरोख्त के फर्जी बिल दिखाकर इस रकम को वापस लेना चाहा. स्पेशल सेल को जांच में पता चला कि यह रकम गलत तरीके से कमाई गई थी. पुलिस को पता चला कि वास्तव में ऐसी कोई डायमंड कंपनी है ही नहीं. 2 करोड़ रुपए के बिल फर्जी हैं. इसी तरह का फर्जी बिल राहुल आहूजा की तरफ से भी दिया गया जो जांच में फर्जी पाया गया. इसे लेकर स्पेशल सेल में मामला दर्ज किया गया है.

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