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JNU में प्रदर्शन: छात्रों को अमीर गरीब में बांटना पूरी तरह से गलत- शेहला राशिद - छात्रों के साथ मुजरिमों जैसा बर्ताव

शेहला राशिद ने कहा कि छात्रों का इस तरह पढ़ाई छोड़कर विरोध प्रदर्शन में उतरना दिखाता है कि शिक्षा के मौलिक अधिकार का हमारे देश में कितना पालन होता है. साथ ही कहा कि या तो यह स्पष्ट कर दिया जाए कि किसी गरीब को पढ़ने का कोई हक नहीं या फिर शिक्षा को व्यापार ना बनाया जाए.

JNU छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला राशिद

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Published : Nov 14, 2019, 5:40 AM IST

Updated : Nov 14, 2019, 9:27 AM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हॉस्टल मैनुअल और बढ़ी हुई फीस को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. वहीं बुधवार को छात्रों के इस प्रदर्शन को जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला राशिद का भी समर्थन मिला, जो अपना प्रेजेंटेशन बायकॉट करके छात्रों का समर्थन करने जेएनयू पहुंची. साथ ही उन्होंने जेएनयू प्रशासन से छात्रों की मांगों को पूरी तरह से मानने की अपील की है.

'छात्रों को अमीर गरीब में बांटना पूरी तरह से गलत'

'अमीर गरीब की दीवार खड़ा करना गलत'

शेहला राशिद ने कहा कि प्रदर्शनकारी संगठन को सभी सीनियर छात्रों ने समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि जेएनयू की गरिमा ही इस बात से है कि यहां पर सब को शिक्षा का समान अधिकार दिया जाता है. यह ऐसा विश्वविद्यालय है, जहां झाड़ू लगाने वाले के बच्चे से लेकर राजनेताओं के बच्चे सब एक साथ पढ़ते हैं. बिना किसी भेदभाव के एक साथ मेस में खाना खाते हैं. ऐसे में सब्सिडी के नाम पर छात्रों के बीच अमीर-गरीब की दीवार खड़ा करना पूरी तरह से गलत है.

उन्होंने कहा कि अमीर और गरीब के बच्चे जब साथ कॉलेज में पढ़ते हैं, तभी उस कॉलेज के शिक्षा का स्तर बेहतर माना जाता है. ऐसे में यदि दोनों के बीच लकीर ही खींचनी है, तो संविधान में दिए गए शिक्षा के मौलिक अधिकार को बदल दिया जाए या उसका सम्मान करते हुए सभी को एक साथ कॉलेज में पढ़ने का अधिकार दिया जाए.

'शिक्षा को व्यापार ना बनाया जाए'

शेहला राशिद ने कहा कि छात्रों का इस तरह पढ़ाई छोड़ कर विरोध प्रदर्शन में उतरना दर्शाता है कि शिक्षा के मौलिक अधिकार का हमारे देश में कितना पालन होता है. साथ ही कहा कि या तो यह स्पष्ट कर दिया जाए कि किसी गरीब को पढ़ने का कोई हक नहीं या फिर शिक्षा को व्यापार ना बनाया जाए. उन्होंने कहा कि यहां कई ऐसे छात्र पढ़ते हैं, जो बहुत गरीब परिवार से आते हैं और फेलोशिप की रकम से मेस का खर्चा देने के बाद जो कुछ भी बचता है, उसे परिवार की आजीविका चलाने के लिए भेज देते हैं.

'छात्रों के साथ मुजरिमों जैसा बर्ताव'

ऐसे में हॉस्टल के चार्जेस इस तरह बढ़ा देने से ना केवल उनकी माली हालत खस्ता हो जाएगी. बल्कि छात्रों के लिए अपनी पढ़ाई जारी रखना भी मुश्किल हो जाएगा. वहीं उन्होंने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस द्वारा बर्बरता से मारे जाने का भी विरोध किया और कहा कि पढ़े लिखे शिक्षित छात्रों के साथ मुजरिमों जैसा बर्ताव किया गया. अपने अधिकार के लिए लड़ाई पर बैठे छात्रों से इस तरह बर्बरता का व्यवहार अशोभनीय है.

Last Updated : Nov 14, 2019, 9:27 AM IST

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