नई दिल्ली: प्लास्टिक कचरा विश्व भर के लिए एक बड़े खतरे के रूप में मंडरा रहा है. इससे निपटने के लिए विश्व के सभी देश जूझ रहे हैं, इसलिए इस बार पर्यावरण दिवस की थीम ' बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' (Beat plastic pollution) रखी गई है. इसका लक्ष्य प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए जरुरी कार्यों के बारे में लोगों को जागरूक करना है. हम अंधाधुंध प्लास्टिक का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन यह पृथ्वी के लिए यह बेहद खतरनाक साबित हो रहा है. ये हमारे स्वास्थ्य को काफी प्रभावित कर रहे हैं और हमें इसका पता भी नहीं चलता है. इसमें एंडोक्राइन डिस्रप्टिंग केमिकल् (ईडीसी) होते हैं, जो हमारे शरीर के उस हिस्से को खराब कर सकते हैं, जो हार्मोन बनाता है. इससे लोगों को डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारियां भी हो सकती हैं.
प्लास्टिक से प्राप्त EDC कर सकते हैं हॉर्मोन की गड़बड़ी:एम्स दिल्ली की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एसआर डॉ. मनाली अग्रवाल बताती हैं कि डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जो तब होती है जब हमारा शरीर भोजन से मिल रही ऊर्जा का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता है. पर्यावरण में कुछ चीजें होती हैं, जिन्हें ईडीसी कहा जाता है और इनकी वजह से लोगों को डायबिटीज होने की आशंका अधिक होती है. ये ईडीसी प्लास्टिक, खाद्य कंटेनर और कुछ व्यक्तिगत देखभाल में उपयोग किये जा रहे उत्पादों में पाये जाते हैं. ऐसे में ये ईडीसी हमारे शरीर में हार्मोन की तरह कार्य कर सकते हैं और गड़बड़ी कर सकते हैं.
ईडीसी हमारे शरीर में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे हमारे शरीर के लिए हमारे ब्लड शुगर लेवल को सामान्य रखना और भी कठिन हो जाता है. ये इंसुलिन के उत्पादन और स्राव को कम कर सकता है. यही आगे चलकर डॉयबिटीज को बढ़ाता है.