दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

दिल्ली में एम्स मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहे रैन बसेरे, लोगों ने कही ये बात

दिल्ली एम्स में इलाज कराने के लिए जाने वाले वह मरीज, जो होटल या धर्मशाला का खर्च वहन नहीं कर सकते, उनके लिए दिल्ली में रैन बसेरे मददगार साबित हो रहे हैं. इसपर ईटीवी भारत ने इन रैन बसेरों में रह रहे लोगों से यहां की स्थिति की नब्ज टटोली. आइए जानते हैं क्या कहा उन्होंने.

people reacted about facilities of night shelters
people reacted about facilities of night shelters

By

Published : Jan 15, 2023, 10:35 AM IST

लोगों ने रैन बसेरे की सुविधाओं के बारे में की बातचीत

नई दिल्ली:देश की राजधानी में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है. वहीं एम्स अस्पताल के बाहर दिल्ली सरकार की तरफ से ठंड से बचने के लिए लोगों के लिए काफी संख्या में दिल्ली में रैन बसेरे बनाए गए हैं. यहां देश के विभिन्न राज्यों से मरीज अपना इलाज कराने के लिए आते हैं, लेकिन उन्हें ठंड के दिनों में सबसे ज्यादा दिक्कत यहां रहने की होती है. क्योंकि एम्स में इलाज तो इतना महंगा नहीं होता, लेकिन इसके आसपास मौजूद होटल या धर्मशाला में काफी ठहरने के लिए लोगों को काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं. इनमें कई लोग वह भी होते हैं, जिनके पास ठहरने के लिए इतने पैसे नहीं होते. ऐसे में ये रैन बसेरे लोगों के ठहरने के लिए अच्छा विकल्प साबित होते हैं.

रैन बसेरों की पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत की टीम एम्स अस्पताल के बाहर बने रैन बसेरे में पहुंची. रैन बसेरे की देखरेख करने वाले आकाश गुप्ता ने बताया कि, हमारे यहां पर कोई समस्या नहीं है और सभी इंतजाम हैं. जो भी व्यक्ति रेन बसेरे में शिफ्ट होना चाहता है, हम उसका आधार कार्ड देखते हैं. अगर वह इलाज करा रहा है तो उसका लेटर देखा जाता है, जिसके बाद उसे एंट्री दी जाती है. हालांकि किसी व्यक्ति के पास लेटर न होने पर भी केवल आधार कार्ड देखकर उसे यहां ठहरने की अनुमति दी जाती है. वहीं खाने के बारे में पूछे जाने पर आकाश ने बताया, यहां ठहरे लोगों को सुबह के समय चाय दी जाती है. वहीं दोपहर में चावल सब्जी और रात में रोटी सब्जी दी जाती है. उन्होंने बताया कि एम्स सफदरजंग अस्पताल के बाहर 10 से 11 रेन बसेरे हैं और वह सभी रैन बसेरों के इंचार्ज हैं.

यह भी पढ़ें-दिल्ली: AIIMS के बाहर ठंड में रात बिताने को मजबूर मरीज और उनके परिजन, रैनबसेरों में जगह नहीं

इस दौरान उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से इलाज करवाने आए गौरी शंकर चौरसिया ने बताया कि, वह जब भी इलाज कराने ठंड के मौसम में आते हैं तो वह यहां पर रैन बसेरों में रुकते हैं. यहां पर सभी तरह का इंतजाम होता है और कोई दिक्कत नहीं आती है. उन्होंने यह भी बताया कि पिछले कई सालों से उनका इलाज चल रहा है. वहीं नेपाल से आईं विनीता सिंह ने बताया कि वह अपने बच्चे का एम्स में इलाज करवा रही हैं. उनके बच्चे को पैरालिसिस की बिमारी है. उन्होंने कहा कि रैन बसेरे में काफी अच्छे इंतजाम हैं. कंबल आदि की व्यवस्था होने से ठंड नहीं लगती और खाना-पीना भी समय से मिल जाता है.

यह भी पढ़ें-नोएडा: तैयार होने के बावजूद रैन बसेरे में नहीं पहुंच पा रहे लोग, जानें कैसी है सुविधाएं

ABOUT THE AUTHOR

...view details