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दिल्ली: अस्थाई स्वास्थ्यकर्मियों को हटाने पर विरोध, फैसला वापस लेने की मांग

दिल्ली सरकार ने 21 अगस्त को दिल्ली के लगभग तीन हजार अस्थाई स्वास्थ्यकर्मियों को दिसंबर तक अल्टीमेटम देकर नौकरी से निकालने का फरमान जारी किया था. इसको लेकर नर्सिंग स्टाफ यूनियन ने विरोध जताते हुए कहा कि सरकार ये फैसला वापस ले.

nursing union protest against delhi govt removing temporary health workers order
अस्थाई स्वास्थ्यकर्मियों को हटाने पर विरोध

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Published : Sep 3, 2020, 11:41 AM IST

नई दिल्ली:21 अगस्त को दिल्ली सरकार ने एक आदेश जारी किया था. इस आदेश के तहत दिल्ली के लगभग तीन हजार अस्थाई स्वास्थ्यकर्मियों को दिसंबर तक अल्टीमेटम देकर नौकरी से निकालने का फरमान जारी किया गया. नर्सिंग स्टाफ यूनियन इसका लगातार विरोध कर रही है.

अस्थाई स्वास्थ्यकर्मियों को नौकरी से हटाने पर जारी विरोध

आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना का मामला भी डाल दिया गया है, जिसकी सुनवाई 15 अक्तूवर को होगी. यूनियन ने दिल्ली सरकार के इस फैसले के खिलाफ 7, 8 और 9 सितंबर को सुबह 9 से 11 बजे दो घंटे तक काम ठप रखकर अपना विरोध जताने का निर्णय लिया है.

7 से 9 सितंबर तक करेंगें प्रदर्शन

नौकरी की आखिरी तारीख 31 दिसंबर

यूनियन का कहना है कि अगर इसके बावजूद अगर दिल्ली सरकार आदेश को वापस नहीं लेगी तो बड़ा आंदोलन वे करेंगे. इस पर सभी अस्पतालों के यूनियन का यूनियन एकजुट है. दिल्ली सरकार के इस आदेश से दिल्ली के अस्पतालों में काम कर रहे लगभग तीन हजार हेल्थ केयर वर्कर्स परेशान हो गए हैं. इस फरमान के मुताबिक उनकी नौकरी की आखिरी तारीख 31 दिसंबर होगी. उसके बाद इनको हटा दिया जाएगा, क्योंकि इन पदों पर स्थाई कर्मचारियों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है.

सरकार से फैसला वापस लेने की मांग

DSSSB के तहत होगी नियुक्ती

नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ के विभिन्न पदों पर दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) के तहत ग्रुप सी कर्मचारियों की नियुक्ती होगी. हालांकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कॉन्ट्रैक्ट के नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ को आश्वासन दिया है कि वे अगले 4 महीने में उनके लिए कोई ना कोई रास्ता निकाल लेंगे, जिससे उनकी नौकरी बच जाएगी. मुख्यमंत्री के मौखिक आश्वासन पर लोगों को विश्वास नहीं है.


दिल्ली राज्य हेल्थ सर्विस वर्कर्स कॉन्ट्रैक्ट ईम्पलाइज यूनियन के जनरल सेक्रेटरी डॉ. नियाज अहमद ने हाईकोर्ट के आदेश के हवाले से बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हेल्थ एवं फैमिली वेलफेयर डिपार्टमेंट के अंदर जितने भी कॉन्ट्रैक्ट एंप्लोय हैं, उनको पॉलिसी बनाकर रेगुलर करने का आदेश दिया है. इतना ही नहीं, दिल्ली सरकार ने गत विधानसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में भी इसे डाला था कि अगर हमारी सरकार आएगी, तो हम जितने भी हेल्थ वर्कर्स कॉन्ट्रैक्ट पर है, सभी को रेगुलर कर देंगे.

केजरीवाल ने दिया था आश्वासन

नियाज अहमद का कहना है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हमने अपने कार्यक्रम में बुलाया भी और उन्होंने आश्वासन दिया था कि वह सभी कॉन्ट्रैक्ट हेल्थ वर्कर्स को परमानेंट कर देंगे. भरी सभा में इन्होंने घोषणा भी की थी.

इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने 21 अगस्त को एक आदेश जारी कर उपराज्यपाल अनिल बैजल से इस बात की मंजूरी ले ली है कि जितने भी दिल्ली के अस्पतालों में कॉन्ट्रैक्ट हेल्थ वर्कर्स हैं, उन्हें दिसंबर के बाद हटा दिया जाएगा. दिल्ली सरकार ने हमारे साथ वादाखिलाफी की है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हमारे साथ तानाशाहों वाला रवैया अपनाया है.

नियाज ने बताया कि ग्रुप सी में कर्मचारियों को बहाल करने का अधिकार दिल्ली सरकार के क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इसलिए हम इसके लिए दिल्ली सरकार को ही जिम्मेदार मान रहे हैं. इस मामले में दिल्ली सरकार ने खुद आगे बढ़कर एलजी से अप्रूवल ले करके आदेश जारी किया है.

दिल्ली सरकार पहले दिल्ली स्टाफ सलेक्शन बोर्ड के माध्यम से रेगुलर कर्मचारियों का चयन कर चुकी है, लेकिन उन को नियुक्त करने के लिए इतने पोस्ट खाली नहीं है. इसीलिए सभी कांट्रेक्चुअल स्टाफ को हटाकर उनकी जगह पर स्थाई कर्मचारियों को नियुक्त किया जाएगा.

हाईकोर्ट ने इस पर स्टे लगा रखा है. इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने रेगुलर स्टाफ को नियुक्त करना शुरू कर दिया है, जो हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. हाईकोर्ट ने जुलाई 2018 में इस पर स्टे लगा दिया था. हाईकोर्ट ने इस संबंध में 5 जुलाई 2018 को आदेश दिया था. आदेश के तहत दिल्ली सरकार स्थाई हेल्थ वर्कर्स को नियुक्त नहीं कर सकती है.

7-9 सितंबर तक कर सकते प्रदर्शन

नियाज ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के एक आदेश पर 3 हजार स्थाई नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ अपनी जान को दांव पर लगाकर कोरोना मरीजों की सेवा के लिए तैयार हो गए और तब से लेकर अब तक सेवा कर रहे हैं.

इसका फल हमें यह मिल रहा है कि साल के अंत तक कोरोना वायरस भले ही जाये या न जाए, लेकिन हमारी नौकरी जरूर चली जाएगी. उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से आग्रह किया कि उनके स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जो 21 अगस्त को आदेश जारी किया है, उसे वापस ले.

अगर फैसला वापस नहीं लिया गया तो सरकार के इस फैसले के खिलाफ 7 सितंबर से लेकर 9 सितंबर तक दिन में 2 घंटे के लिए विरोध प्रदर्शन करेंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी दिल्ली सरकार और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की होगी.

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