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दुर्गा पूजा: NGT और DPCB ने मूर्ति विसर्जन पर लगाई रोक

NGT और DPCB ने यमुना नदी में मूर्ति विसर्जित करने पर रोक लगा दी है. जिसके बाद कृत्रिम तालाब बनाकर या पंडालों में ही मूर्ति विसर्जित करने का फैसला किया गया है.

कृत्रिम तालाब , etv bharat

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Published : Sep 23, 2019, 1:38 PM IST

Updated : Sep 23, 2019, 3:28 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी में हर साल की तरह इस साल भी सीआर पार्क में अलग-अलग थीम पर आधारित पंडाल सज रहे हैं. इस बार सभी दुर्गा पूजा समितियों की ओर से यह फैसला लिया गया है कि मूर्ति का विसर्जन यमुना नदी में करने के बजाए पंडाल में कृत्रिम तालाब बनाकर किया जाए.

DPCB ने मूर्ति विसर्जन पर लगाई रोक

वहीं इस फैसले को लेकर बी ब्लॉक पूजा समिति के सदस्य तमल रक्षित ने कहा कि एक मां को विदा करने पर दूसरी मां को दूषित करना ठीक नहीं है.

NGT और DPCB ने मूर्ति विसर्जन पर लगाई रोक

ईस्ट बंगाल डिस्प्लेस पर्सन (ईबीडीपी) जॉइंट सेक्रेटरी गौतम सेन चौधरी ने बताया कि हर साल नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा अर्चना के बाद यमुना नदी में विसर्जन किया जाता था. लेकिन इस बार तो एनजीटी और दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने रोक लगा दी है. जिसकी वजह से यह फैसला किया गया है. सीआर पार्क की पांच बड़ी पूजा समितियां मां की मूर्ति का विसर्जन पंडाल में करेंगी.

उन्होंने बताया कि मेला ग्राउंड दुर्गा पूजा समिति, कोऑपरेटिव ग्राउंड दुर्गा पूजा समिति, बी ब्लॉक दुर्गा पूजा समिति, दक्षिण पल्ली दुर्गा पूजा समिति पॉकेट 52 और चितरंजन पार्क काली मंदिर सोसायटी की यह पूजा समितियां मां की मूर्ति का विसर्जन अपने ही पंडाल में करेंगी.

तीन जगह पर बनाए जा रहे है कृत्रिम तालाब

वहीं ईबीडीपी के संयुक्त सचिव गौतम सेन चौधरी ने बताया कि तीन जगहों पर मां की मूर्ति के विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाब बनाए जा रहे हैं. जिनमें आस्था कुंज पार्क, ग्रेटर कैलाश पार्ट टू में स्थित उदय पार्क और सीआर पार्क में स्थित डी ब्लॉक अंडरग्राउंड रिजर्वॉयर के परिसर में कृत्रिम तालाब बनाए जा रहे हैं.

दो दर्जन पूजा समिति मां की मूर्ति का विसर्जन करेंगे जिसके लिए दिल्ली सरकार, दक्षिण दिल्ली नगर निगम व अन्य संबंधित एजेंसी विसर्जन कार्य के लिए सहयोग करेंगी.

विसर्जन के लिए खोदा जाता है तीन फीट का गड्ढा

वहीं तमल रक्षित ने बताया कि बी ब्लॉक और दक्षिणी दिल्ली पूजा समिति पॉकेट 52 पूजा समिति प्रदूषित हो रही है. यमुना नदी को बचाने के लिए करीब 6 सालों से मां दुर्गा को पंडाल में ही विसर्जित करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि कृत्रिम तालाब में मां दुर्गा को विसर्जित करने से पहले विधिवत रूप से पंडित मंत्रोचार के साथ शुद्धि करते हैं. उसके बाद मां का विसर्जन किया जाता है.

रक्षित ने बताया कि मां का विसर्जन के लिए करीब चार फीट गड्ढा खोदना पड़ता है और मां की मूर्ति के विसर्जन में करीब तीन फीट पानी लगता है.

Last Updated : Sep 23, 2019, 3:28 PM IST

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