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NEET PG Admission: देशभर में रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल, OPD सेवा बंद

नीट पीजी एडमिशन में हो रही देरी के लिये देश भर के अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर्स ने ओपीडी सेवा बंद कर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. फेमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रोहन कृष्णन ने ओपीडी सेवा ठप कर धरना कर रहे डॉक्टर्स से अपील की है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से धरना जारी रखें, लेकिन इमरजेंसी में मरीजों के इलाज में कोई परेशानी न हो इसका विशेष ध्यान रखें.

रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल
रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल

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Published : Dec 3, 2021, 5:42 PM IST

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट में मेडिकल पीजी कोर्स में दाखिले में आरक्षण को लेकर ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटा आरक्षण की चल रही सुनवाई में देरी होने से नाराज देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने ओपीडी सेवा बाधित कर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इमरजेंसी सेवा चालू रखी गई है. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रोहन कृष्णन ने देश भर के अस्पतालों में धरना प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स से शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने के साथ-साथ इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की सेवा जारी रखने की अपील की है ताकि गंभीर रूप से बीमार मरीजों का समय पर उचित इलाज मिल सके.


डॉ. रोहन ने बताया कि कॉउंसलिंग में देरी होने की वजह से नीट पीजी काउंसलिंग प्रोसेस में विलंब हो रहा है. जिसके परिणाम स्वरूप अस्पतालों में पीजी कोर्स में समय पर दाखिला नहीं हो पा रहा है. इसके कारण अस्पतालों में जूनियर रेजिडेंट के नहीं आने की वजह से थर्ड ईयर एवं फोर्थ ईयर के रेजिडेंट डॉक्टर्स पर अस्पताल का भार बढ़ गया है. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई जल्दी खत्म कर फैसला देने की अपील की है ताकि पीजी काउंसलिंग की प्रक्रिया जल्दी पूरी की जा सके और छात्रों का दाखिला संभव हो पाये.

रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल, फेमा अध्यक्ष की अपील

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डॉ. रोहन ने बताया कि नए बैच का दाखिला मेडिकल कॉलेज में नहीं होने की वजह से अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर की कमी हो गई है. नीट पीजी परीक्षा की तारीख में भी बदलाव हो गए. जो परीक्षा अप्रैल 2021 में होनी थी वह सितंबर 2021 में हुई. परीक्षा में हुई देरी की वजह से नीट पीजी के छात्रों का ना सिर्फ एक साल बर्बाद हुआ, बल्कि जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स पर भी काम का काफी दबाव बढ़ गया है. देश के ज्यादातर मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर्स की काफी कमी हो गई है.


डॉ. रोहन ने बताया कि थर्ड ईयर और फोर्थ ईयर के स्टूडेंट्स पर वर्क लोड काफी बढ़ गया है, क्योंकि मरीजों की देखभाल में कोई कमी नहीं रखने के लिए रेजिडेंट डॉक्टर्स दिन- रात काम कर रहे हैं. आने वाले दिनों में फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स एमएस और एम डी की परीक्षा में शामिल होंगे. उसके बाद डॉक्टरों की संख्या और कम हो जायेगी. इस लापरवाही की वजह से ज्यादातर पीजी के स्टूडेंट्स डिप्रेशन में आ रहे हैं. फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स पर पॉलिसी मेकर्स को प्राथमिकता देनी चाहिए.


सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि ऑल इंडिया कोटा के तहत ईडब्ल्यूएस ओबीसी आरक्षण मामले पर सुनवाई के लिये जो 6 दिसंबर की तारीख दी गयी है उसे प्राथमिकता के आधार पर पहले तारीख देकर फास्टट्रैक जजमेंट दे ताकि 2021- 22 सेशन के लिए पीजी स्टूडेंट्स का दाखिला सुनिश्चित हो सके. उन्होंने पीजी के एडमिशन प्रोसेस 31 दिसंबर 2021 तक पूरी कर लेने की अपील की है ताकि नए डॉक्टर नए वर्ष की शुरुआत में ही काम करना शुरू कर दें.

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डीडीयू अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल

इसी मामले को लेकर पश्चिमी दिल्ली के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दीनदयाल उपाध्याय के रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल की. इस दौरान रेजिडेंट डॉक्टरों ने ओपीडी में काम बन्द रखा. हालांकि उनका कहना है कि उनका मकसद किसी को परेशान करना नहीं है इसलिए उन्होंने काम पूरी तरह से बन्द नहीं किया. ये करना भी उनकी मजबूरी है क्योंकि सरकार को जगाना जरूरी है. सरकार की तरफ से हो रही देरी का खामियाजा न सिर्फ इस पेशे से जुड़े लोगों को भुगतना पड़ रहा बल्कि अस्पताल में आनेवाले मरीजों को डॉक्टरों की कमी झेलनी पड़ रही है.

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