नई दिल्ली: महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति अपनी अहम भूमिका निभाने के लिए सरकारें लाख दावे करती हैं. लेकिन माहवारी के दिनों में हाइजीन प्रोडक्ट को लेकर सरकारें क्या मदद कर रही हैं, इसे लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की ज्वाइंट सेक्रेट्री वंदना गुरनानी से खास बातचीत की.
वंदना गुरनानी ने बताया कि आज माहवारी को लेकर हम बात कर रहे हैं ये बहुत बड़ी बात है. उन्होने कहा कि महिलाओं और पुरुषों के बीच आज भी इस चीज को लेकर खुलकर बात नहीं होती. इसलिए जरूरी है कि जितना माहवारी को साधारण रूप से समझा जाएगा उतना ही इससे होने वाले इन्फेक्शन और बीमारियों से निपटा जा सकेगा.
क्या कहते हैं आंकड़े
वंदना गुरनानी ने बताया कि सरकार की तरफ से 2015-16 में किए गए रिसर्च के मुताबिक देश में देहात क्षेत्र की बात की जाए तो 48 प्रतिशत महिलाएं ही सेनेटरी पैड का उपयोग करती हैं. इसके अलावा शहर में 78 प्रतिशत महिलाएं सैनेटरी पैड का उपयोग करती हैं.
उन्होंने बताया कि गांव में जागरूकता कम होने के चलते अभी भी महिलाएं अन्य चीजों का इस्तेमाल करती हैं. जिसकी वजह से वो इन्फेक्शन समेत अन्य बीमारियों की शिकार होती हैं.
सरकार उठा रही है कदम
वंदना गुरनानी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग लगातार महिलाओं में माहवारी के प्रति जागरुकता को लेकर कोशिश करता रहता है. इसके लिए निरंतर कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं. गुरनानी ने बताया कि सैनिटरी पैड्स जिन जगहों पर नहीं है या फिर जो महिलाएं उन्हें खरीदने में सक्षम नहीं है. उनके लिए सरकार खुद निशुल्क सैनेट्री पैड मुहैया भी कराती है. वंदना गुरनानी ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में सेनेटरी पैड दिए जाते हैं. जिससे माहवारी होने पर वो स्वच्छता से रह सकें और किसी परेशानी का सामना ना करें.