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NDMC की प्रॉपर्टी को गलत तरीके से एनजीओ को देने का आरोप, उठी जांच की मांग

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Published : Aug 26, 2020, 11:01 AM IST

नई दिल्ली नगरपालिका कर्मचारी संघ ने एनडीएमसी में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार का खुलासा करने का दावा किया है. आरोप लगाया है कि सक्षम नाम के एक एनजीओ को एनडीएमसी की प्राइम लोकेशन शहीद भगत सिंह प्लेस में 2000 वर्ग मीटर की प्रॉपर्टी 3 साल के लिए मुफ्त में दे दी गई है. ये एनजीओ क्या काम करती है किसी को कुछ नहीं पता.

corruption in deputation over property allotment
NDMC में भ्रष्टाचार का आरोप

नई दिल्ली:राजधानी कीनई दिल्ली नगरपालिका परिषद के डेपुटेशन अधिकारी अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हुए एनडीएमसी की प्रॉपर्टी को अपने फायदे के लिए बांट रहे हैं. इससे एनडीएमसी का करोड़ों का नुकसान हो रहा है. नई दिल्ली नगर पालिका कर्मचारी संघ ने एनडीएमसी में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार का खुलासा करने का दावा किया है.

NDMC में भ्रष्टाचार का आरोप

करोड़ों की प्रॉपर्टी मुफ्त में देने का आरोप


कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि सक्षम नाम के एक एनजीओ को एनडीएमसी की प्राइम लोकेशन शहीद भगत सिंह प्लेस में 2000 वर्ग मीटर की प्रॉपर्टी 3 साल के लिए मुफ्त में दे दी गई है. ये एनजीओ क्या काम करती है किसी को कुछ नहीं पता. इस एनजीओ का सामाजिक सरोकार से क्या लेना देना है. इसका कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है तो सवाल ये है कि किस आधार पर सक्षम एनजीओ को एनडीएमसी की प्रॉपर्टी बांट दी गई है?



नई दिल्ली नगरपालिका कर्मचारी संघ के महासचिव मनीष कक्कड़ ने एनडीएमसी के डेपुटेशन पर रखे गए अधिकारियों की मिलीभगत से एनडीएमसी की प्रॉपर्टी को बंदरबांट करने का आरोप लगाते हुए कहा कि साक्षम एनजीओ ने 1000 वर्ग मीटर आराधना भवन में जगह मांगा था, लेकिन आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट की आपत्ति के बाद इस प्रॉपर्टी को एनजीओ को नहीं दिया जा सका.

लेकिन, व्यक्तिगत लाभ के चलते डेपुटेशन अधिकारी वीके गौतम ने सक्षम एनजीओ को लाभान्वित करने के लिए नियमों को ताक पर रखते हुए आखिरकार शहीद भगत सिंह प्लेस में संपदा विभाग की 2000 वर्ग मीटर प्रॉपर्टी कल्याण विभाग ने आवंटित कर दी. ये प्रॉपर्टी एक ऐसे एनजीओ को आवंटित की गई है जिसने आज तक किसी भी सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं लिया है.


परिषद एक्ट-141 के उल्लंघन का आरोप

मनीष कक्कड़ ने आरोप लगाया कि सक्षम एनजीओ को जो प्रॉपर्टी आवंटित की गई है. उसमें परिषद एक्ट-141 की अवहेलना की गई है. नियम के तहत संपदा विभाग की प्रॉपर्टी को लाइसेंस डीड के बाद दिया जाता है. इस मामले में लीज डीड 9 अक्टूबर 2018 को करने की प्रक्रिया अपनाई गई. जिसका विधि विभाग से नियम के तहत डीड नहीं किया गया. मुख्य विधि अधिकारी के बिना हस्ताक्षर के मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर कर दिया गया.



2015 में एक मामले में एनजीओ का आवंटन रद्द किया गया था

कक्कड़ ने बताया कि 2015 में 30 अगस्त को इसी तरह का एक और मामला सामने आया था, लेकिन उस समय एनडीएमसी के प्रॉपर्टी को लाइसेंस फीस के जरिए ई-ऑक्शन करके देने का प्रावधान कहकर संकल्प एनजीओ को परिषद ने प्रॉपर्टी देने से मना कर दिया. वहीं दूसरी तरफ सक्षम एनजीओ को बिना किसी नियम कानून के ही प्राइम लोकेशन पर प्रॉपर्टी मुफ्त में दे दी गई. अगर ये प्रॉपर्टी सक्षम एनजीओ को दी ही जानी थी, तो खुले मार्केट से आवेदन मंगवाया जाता. जो योग्य होता उन्हीं को दिया जाता.

एनडीएमसी को करोड़ों का नुकसान

एमडीएमसी के कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष सुधाकर कुमार कहते हैं कि भारत में ऐसे लाखों एनजीओ काम कर रही है. अगर इस तरह से मुफ्त में एनडीएमसी प्रॉपर्टी बांटेगा तो जल्दी एनडीएमसी दिवालिया हो जाएगा. सुधाकर ने बताया कि एनडीएमसी की आमदनी का जरिया लाइसेंस फीस एवं टैक्स है. जिसके जरिए परिषद के कार्य एवं कर्मचारियों का वेतन दिया जाता है. सक्षम एनजीओ को जो 2000 वर्ग मीटर प्रॉपर्टी दी गई है. उसका बाजार भाव से प्रतिवर्ष एक करोड़ रुपए का किराया बनता है. इस हिसाब से देखा जाए तो 3 साल में एनडीएमसी को करोड़ों का नुकसान होगा.


घेरे में डेपुटेशन अधिकारी वीके गौतम

कर्मचारी संगठन ने इंफोर्समेंट डायरेक्टर और एस्टेट ऑफिसर वी.के गौतम के ऊपर अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. आरोप है कि उन्होंने नियमों को अनदेखा कर गलत तरीके से एनजीओ को एनडीएमसी की प्रॉपर्टी को मुफ्त में दे दी. संगठन ने संदेह जाहिर किया है कि वीके गौतम ने एनजीओ को फायदा पहुंचाने के नाम पर उनसे मोटा पैसा बतौर रिश्वत ली होगी. आपको बता दें कि बीके गौतम डीटीसी में डिपो मैनेजर हुआ करते थे. वहां से रिटायर होने के बाद एनडीएमसी ने डेपुटेशन अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं.

गृहमंत्री अमित शाह से जांच करने की मांग की

एनडीएमसी कर्मचारी संगठन ने गृहमंत्री अमित शाह और एनडीएमसी के अध्यक्ष को लेटर लिखकर इस मामले में जांच कराने और एनजीओ के लिए आवंटित प्रॉपर्टी को रद्द करने की मांग की है. साथ ही इस मामले में नियमों की अनदेखी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की भी मांग की गई है.

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