नई दिल्ली:आप यहां जो अनियंत्रित भीड़ को देख रहे हैं. यह कोई साधारण भीड़ नहीं है. एम्स में होने वाले मेगा ब्लड डोनेशन कैंप में ये सभी अपना रक्तदान करना चाहते हैं, लेकिन स्टोरेज की क्षमता पूरी हो गई है. इसके बावजूद ये लोग अपना रक्तदान करना चाहते हैं. इसके लिए यहां लंबी कतार लगाए हैं और नर्सिंग स्टाफ से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें रक्तदान कर पुण्य कमाने का एक अवसर दिया जाए.
AIIMS में ब्लड डोनेशन के लिए उमड़े लोग, ब्लड बैंक की स्टोरेज क्षमता पूरी - Crowd gathered for blood donation in Delhi AIIMS
देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में रक्तदान के महाकुम्भ में रक्तदान कटने वालों को हुजूम उमड़ा, लेकिन सभी को यह मौका नहीं मिला पाया. 1200 यूनिट टारगेट बढ़कर 2207 तक पहुंच गया. दोपहर में ही ब्लड बैंक की स्टोरेज क्षमता पूरी हो गयी और बहुत सारे लोगों को निराश होना पड़ा.
रक्त देने के लिए लोगों की उमड़ी भीड़
याद कीजिये, एक दौर वह भी था जब पकड़-पकड़ कर लोगों से रक्तदान करवाए जाते थे. इसके बावजूद लोग स्वैच्छिक रूप से रक्तदान करने सामने नहीं आ पाते थे और दूसरा दृश्य है जब लोग रक्तदान करने के लिए अनुनय- विनय करते हुए नजर आ रहे हैं. रक्तदान के लिए अपील करने के बाद जो लोग अपना रक्तदान करने पहुंचे हैं उनका रक्त क्यों नहीं लिया जा रहा है?
बहुत लोगों को निराश होना पड़ा
एम्स की नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट हनुमती देवी ने बताया कि ब्लड डोनेशन को लेकर लोगों में काफी जागरूकता आ गई है. नर्सिंग ऑफिसर भी पूरे जुनून के साथ काम करते हैं. कनिष्क यादव जिन्होंने इस मेगा ब्लड डोनेशन कैंप को कॉर्डिनेट किया उसका भी काफी असर पड़ा. लोग इतनी संख्या में ब्लड डोनेशन के लिए पहुंचे उन सभी को मौका नहीं मिल पाया. बहुत डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ ब्लड डोनेशन से वंचित रह गए. ऐसे लोगों को निराश नहीं होना चाहिए. एम्स को ऐसे लोगों को भी रक्तदान करने का पुण्य कमाने का अवसर जरूर देना चाहिए.
स्टोरेज क्षमता से ज्यादा नहीं ले सकते ब्लड
हनुमती देवी ने बताया कि ब्लड बैंक की स्टोरेज की क्षमता होती है और इसकी एक सेल्फ लाइक भी होती है. हम नहीं चाहते कि किसी का खून बेकार हो जाए. हम उतना ही ब्लड लेते हैं जितनी हमारी स्टोरेज क्षमता होती है. खून की एक- एक बूंद का हम सही इस्तेमाल करना चाहते हैं. अगर हम जरूरत से ज्यादा ब्लड डोनेशन ले लें और उसकी स्टोरेज क्षमता हमारे पास नहीं है तो वो बल्ड बर्बाद हो जाता है. 90 दिनों तक अधिकतम ब्लड को स्टोरेज रखा जा सकता है. इसके बाद भी इसके दूसरे कंपोनेंट प्लेटलेट्स और प्लाज्मा को अलग कर उसका इस्तेमाल कर लिया जाता है.