नई दिल्ली:उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने शनिवार को दिल्ली नगर निगम के अधीन उत्तरी दिल्ली के 400 साल पुराने एतिहासिक रोशन आरा बाग का दौरा किया और निर्देश दिये कि तीन माह के भीतर वहां चिह्नित 8.5 एकड़ जमीन अन्य पौधों के अलावा दुर्लभ और एक्सोटिक पौधों और फूलों की विश्व-स्तरीय नर्सरी विकसित की जाये. उन्होंने मलबा और सी एंड डी वेस्ट हटाकर इस पर ही काम शुरू करने के निर्देश दिये. इस नर्सरी से शहर भर में पौधरोपण के लिए न केवल सालाना 3 लाख पौधे उपलब्ध होंगे, बल्कि दिल्ली के आम लोगों को कम दाम में ऐसे पौधे उपलब्ध हो सकेंगे.
3.8 एकड़ परिसर में फैली मृत झील जो कि सिल्ट और जंगली घासफूस से भरी हुई है के पुनर्विकास के कार्यों की शुरुआत करते हुए उपराज्यपाल ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि इस झील का पुराना गौरवशाली स्वरूप बहाल किया जाए. उपराज्यपाल ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि इसकी खुदाई एवं सफाई कम से कम चार मीटर तक की जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाये कि यह एक प्राकृतिक जल निकाय के रूप में विकसित हो. यह न केवल आगंतुकों का आकर्षण बने, बल्कि एक ईको-सिस्टम के रूप में भी विकसित हो जो झील में बहाल द्वीप के साथ-साथ विभिन्न वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण और संवर्द्धन करता हो.
वर्षा के पानी को तालाब में संरक्षित किया जाएगा
बारिश का पानी तालाब को भरने में पर्याप्त नहीं होगा. इसलिये उपराज्यपाल ने निर्देश दिये कि रोशन आरा रोड, शक्ति नगर, कमला नगर और अंधा मुगल जैसे आसपास के क्षेत्र जो कि बाढ़ और जलजमाव से ग्रसित रहते हैं और बाग के कैचमेंट में हैं, उनका पानी चैनलों और पाइपलाइनों के माध्यम से झील में लाया जाये. जो मिट्टी झील की सतह से निकलेगी उससे झील के चारों ओर 4 मीटर ऊंचा बांध बनाया जाएगा. इससे बने तटबंधों को सुरक्षित और मजबूत बनाने के लिए भलस्वा लैंडफिल साईट से लाकर सी एंड डी वेस्ट का उपयोग किया जाए. इससे जहां एक ओर लैंडफिल साईट पर बोझ कम होगा वहीं यह भी सुनिश्चित होगा कि बांध की मिट्टी दुबारा झील में वापस नहीं जाएगी. उन्होंने निर्देश दिये कि यह कार्य एक माह की भीतर पूरा कर लिया जाये.