नई दिल्ली: अनलॉक के चरणों में लगभग सभी व्यवसाय खोल दिए गए हैं. महीनों से काम बंद होने के चलते कई लोगों का जीवन संकट की स्तिथि में आ गया था, लेकिन अब सभी काम खुल जाने से लोगों को कुछ उम्मीद जागी है. इसके बावजूद अभी भी दिहाड़ी मजदूरों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. ईटीवी भारत ने लेबर चौक पर जाकर इन मजदूरों से आपबीती जानी.
लेबर चौक: काम न मिलने से मायूस हुए मजदूर, दो वक्त का खाना जुटाना भी हुआ मुश्किल - चांदन होला गांव
कोरोना महामारी ने डेलीवेज मजदूरों की जिंदगी को संकट में खड़ा कर दिया है. इन दिहाड़ी मजदूरों के लिए दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करना और घर का किराया निकलना काफी मुश्किल हो रहा है. मजदूरों का कहना कि वो हर सुबह काम की तलाश में लेबर चौक पर आ जाते हैं, लेकिन कई-कई दिन काम नसीब ही नहीं होता.
हर रोज चौक में पहुंचती मजदूरों की भीड़
दक्षिणी दिल्ली के छत्तरपुर इलाके के चांदन होला गांव चौक पर मजदूरों का ठिया है. दिहाड़ी मजदूर काम की तलाश में हर दिन उम्मीद लगाए यहां सैकड़ों की संख्या में एकत्रित होते हैं कि उन्हें आज कुछ न कुछ काम जरूर मिलेगा, लेकिन हालात ऐसे हैं कि इन मजबूर मजदूर को कई-कई दिन काम नसीब ही नहीं होता, जिसके चलते इन मजदूरों में मायूसी छाई हुई है.
गुजर-बसर करना हो रहा है मुश्किल
मजूदरों का कहना है कि वह दिन उम्मीद लगाकर आते हैं कि आज काम मिल जाएगा, जिससे वह 2 वक्त की रोटी खा सकें, लेकिन काम न मिलने के कारण उन्हें अपना गुजर-बसर करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही इन मजदूरों का कहना है कि इन्हें अपने मकान का किराया भरना भी बहुत कठिन हो रहा है. लॉकडाउन से लेकर अभी तक इन मजबूर मजदूरों की परेशानियां कम होने के नाम ही नहीं ले रही हैं.