नई दिल्ली: नवरात्रों में दिल्ली के छतरपुर स्थित आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर में माता के दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, लेकिन जब नवरात्रि शुरू होती है तो मां के दर्शन करने वालों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है. नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर को बेहद ही सुंदर और आकर्षक तरीके से सजाया जाता है. मंदिर की खासियत है कि मां कात्यायनी के श्रृंगार के लिए यहां रोजाना दक्षिण भारत से खास हर रंगों के फूलों से बनी माला मंगवाई जाती है. मां का श्रृंगार रोज अलग-अलग किया जाता है. हालांकि, माता का यह भव्य रूप नवरात्रि और पूर्णिमा जैसे खास अवसरों पर ही आप देख सकते हैं. अन्य दिनों में आए भक्तजन मां के दर्शन के लिए ठीक ऊपर बने भवन में जाते हैं.
बताया जाता है कि छतरपुर मंदिर की स्थापना 1974 में कर्णाटक के संत बाबा नागपाल ने की थी. इससे पहले मंदिर स्थल में एक कुटिया हुआ करती थी, लेकिन आज यहां 70 एकड़ पर मां का भव्य मंदिर स्थित है. मंदिर बेहद ही सुंदर है. इस मंदिर में मां दुर्गा अपने छठे स्वरूप मां कात्यायनी के रौद्र स्वरूप में दिखाई देती हैं, जिनके एक हाथ में चण्ड-मुण्ड का सिर और दूसरे में खड्ग है.
पहले इस मंदिर की गिनती दिल्ली के सबसे बड़े और भव्य मंदिर में की जाती थी, लेकिन दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर के निर्माण के बाद अब यह मंदिर दिल्ली का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है. दक्षिण भारतीय शैली में बना यह मंदिर अपने अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है. इस प्रकार की वास्तुकला को वेसरा वास्तुकला के नाम से जाना जाता है. मंदिर पर की गई सुंदर नक्काशी बेहद ही मनमोहक और अद्भुत है. मंदिर के निर्माण में सफेद संगमरमर का प्रयोग विशेष रूप से किया गया है. ऑर्किटेक्चर के दृष्टिकोण से यह मंदिर बेहद ही अनुपम मानी जाती है. संगमरमर पर बनी महीन जालीदार नक्काशी बेहद ही आकर्षक है.
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यह मंदिर परिसर विस्तृत भू-भाग पर फैला हुआ है, जिसमें कई खूबसूरत बाग और लॉन स्थित हैं. माता कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर में जैसे ही आप प्रवेश करते हैं तो आपको एक बड़ा सा पेड़ दिखाई देता है. इस पेड़ पर भक्त चुनरी, धागे और चूड़ी चढ़ाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. मां कात्यायनी का श्रृंगार यहां रोज सुबह 3 बजे से ही शुरू कर दिया जाता है, जिसमें इस्तेमाल हुए वस्त्र, आभूषण और माला इत्यादि फिर कभी दोहराए नहीं जाते हैं.