नई दिल्ली:लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सांसद दानिश अली को अपशब्द बोलकर दक्षिणी दिल्ली से भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी चर्चा में आ गए हैं. सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. वहीं, इस पर भाजपा ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. छात्र राजनीति से सांसद तक का सफर करने वाले बिधूड़ी इससे पहले भी काफी बयानों से चर्चा में रह चुके हैं. आइए, जानते हैं उनके बारे में...
सबसे पहले उनके दो बयानों की चर्चा जिससे वो काफी सुर्खियों में रहे. 2016 में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कटाक्ष किया था. कहा था, “तेरी औलाद तेरी नहीं है! कहीं पड़ोसियों की गलती तो नहीं है वो?" वहीं, एक बार तो वह शिकायत लेकर पहुंचे परिजन पर ही भड़क गए थे. हुआ यह था कि जब एक माता-पिता स्कूल की समस्या लेकर पहुंचे थे, रमेश बिधूड़ी ने कहा था कि बच्चे क्यों पैदा किया फिर? इससे पहले बीजेपी सांसद ने कहा था कि जहां भी मुसलमान अल्पसंख्यक होते हैं वहां मानवाधिकारों की बात होती है और जहां यह बहुमत में आ जाते हैं खूनखराब शुरू हो जाता है.
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यह है उनका राजनीतिक सफरः वकील, व्यवसायी, सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में दो दशक पहले तक पहचाने जाने वाले रमेश बिधूड़ी का जन्म 18 जुलाई 1961 को दक्षिणी दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में हुआ था. वह दिल्ली के निवासी हैं. जिस तुगलकाबाद में उनका जन्म हुआ आज भी वह अपने पूरे परिवार के साथ वहीं रहते हैं. अपने कॉलेज के दिनों में रमेश बिधूड़ी क्रिकेट खेलते थे. छात्र राजनीति में सक्रिय रहे बिधूड़ी 2007-08 में पहली बार विधायक बने.
रमेश बिधूड़ी बीजेपी से शुरू से जुड़े हैं. उन्होंने बीजेपी को अपनी राजनीतिक पार्टी के रूप में चुना है. दिल्ली बीजेपी में वे महासचिव भी रहे. 2003 से 2008 तक वह दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष भी रहे थे. 2003 से 2014 तक रमेश बिधूड़ी विधायक के रूप में दिल्ली विधानसभा में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं. लगातार तीन बार विधायक बनने के बाद 2014 में उन्हें पहली बार दक्षिणी दिल्ली संसदीय सीट से बीजेपी ने लोकसभा सदस्य का चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया और वह 16वीं लोकसभा के लिए चुने गए.
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दूसरी बार बने हैं सांसदः 2019 में दोबारा पार्टी ने उन्हें इस सीट के लिए टिकट दिया, जिसमें वह भारी मतों से विजय हुए. इस दौरान रमेश बिधूड़ी शहरी विकास पर अस्थायी समिति के सदस्य बनाए गए. साथ ही उन्हें अन्य पिछड़ा वर्गों के कल्याण और स्थाई समिति और श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत परामर्श समिति राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड का सदस्य भी बनाया गया.