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JPC अस्पताल के हेल्थ वर्कर्स ने की राजीव गांधी अस्पताल से रोटेशन की मांग - Delhi covid hospital staff

जग प्रवेश चंद्र(JPC Hospital) हॉस्पिटल के 35 हेल्थ वर्कर्स कोविड अस्पताल राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में पिछले तीन महीने से फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं. रोटेशन के तहत उन्हें 14 दिनों के बाद अपने मूल अस्पताल में लौटना होता है, लेकिन स्टाफ को तीन महीने बीतने के बाद भी अपने मूल हॉस्पिटल में नहीं बुलाया जा रहा है.

JPC hospital health workers
JPC अस्पताल के हेल्थ वर्कर

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Published : Sep 26, 2020, 7:17 AM IST

Updated : Sep 26, 2020, 2:28 PM IST

नई दिल्ली: जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के करीब 35 कर्मचारी पिछले तीन महीने से राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में रोटेशन बदलने का इंतजार कर रहे हैं. इनका दफ्तर कोविड वार्ड के बिल्कुल सात कदम की दूरी पर है. हमेशा इनका संपर्क करोना मरीजों के साथ होता रहता है. इन्हें सुरक्षा की पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं दी जा रही है.

हेल्थ वर्कर ने रोटेशन की रखी मांग
बता दें कि दिल्ली सरकार के नियम के मुताबिक दिल्ली सरकार के सभी हेल्थ वर्कर्स को कोविड फैसिलिटीज, क्वारंटीन सेंटर और डिस्पेंसरी में रोटेशन के आधार पर प्रतिनियुक्ति दी गई थी. 14 दिनों का एक रोटेशन तय किया गया. दिल्ली सरकार के सभी हेल्थ केयर वर्कर्स को रोटेशन ड्यूटी पूरा करने के बाद अपने मूल अस्पताल में रिपोर्ट करना होता है. ऐसा कर्मचारियों की सुरक्षा के लिहाज से नियम बनाए गए थे, ताकि एक स्वास्थ्य कर्मी को ज्यादा समय तक कोविड एरिया में हाई रिस्क जोन में ना रहना पड़े. लेकिन जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के 35 कर्मचारियों का रोटेशन कभी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है.



जुलाई महीने से लगातार संजय गांधी हॉस्पिटल में दे रहे हैं ड्यूटी

जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के मूल 35 कर्मचारी राजीव गांधी अस्पताल में पिछले जुलाई महीने से ड्यूटी देने को मजबूर हैं. यहां दिल्ली सरकार के सभी अस्पतालों में काम करने वाले हेल्थ वर्कर्स को रोटेशन पर 14 दिनों के लिए ड्यूटी देना अनिवार्य है.



'कोरोना मरीजों के आसपास रहन पड़ता है'

जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के एक हेल्थ वर्कर ने नाम नहीं लेने की शर्त पर बताया कि वो लोग राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के पांचवें फ्लोर जहां एचडीयू है. उसके बिल्कुल साथ में कोरोना वार्ड है, वहीं पर उन्हें ड्यूटी के लिए तैनात किया गया है. वो लोग कोरोना मरीजों के साथ रहने को मजबूर है. एक तरफ सरकार सोशल डिस्टेंस की बात करती है. संदिग्ध कोरोना मरीजों से दूर रहने को कहा जाता है, लेकिन यहां तो सात कदम की दूरी पर बहुत सारे कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज घूमते रहते हैं.


'दूसरे हॉस्पिटल के स्टाफ का बराबर हो रहा है रोटेशन'


हेल्थ वर्कर्स का कहना है कि वो मानसिक परेशानियों के दौर से गुजर रहे हैं. नोडल ऑफिसर को कई बार शिकायत की गई है, लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है. गुरु नानक हॉस्पिटल, जीबी पंत हॉस्पिटल जीटीबी हॉस्पिटल, दीनदयाल हॉस्पिटल, हेडगेवार हॉस्पिटल और जग प्रवेश चंद्र हॉस्पिटल के स्टाफ को हर 14 दिन पर रोटेशन किया गया है. सिर्फ जग प्रवेश चंद हॉस्पिटल के स्टाफ को छोड़कर बाकी सभी हॉस्पिटल के स्टाफ हर 14 दिन के बाद अपने मूल हॉस्पिटल में चले जाते हैं. जुलाई महीने से जग प्रवेश चंद्र हॉस्पिटल के इन कर्मचारियों को रोटेशन खत्म होने के बाद अपने मूल हॉस्पिटल में नहीं भेजा गया है.


'मेडिकल सुपरिटेंडेंट कहते हैं कि उनके पास आदेश नहीं है'


स्टाफ ने बताया कि जब वे अपने मेडिकल सुपरिटेंडेंट से बात करते हैं, तो उन्हें ये कहा जाता है कि सरकार की तरफ से उनके पास ऐसा कोई आदेश नहीं आया है, लेकिन गुरु नानक हॉस्पिटल की मेडिकल सुपरिटेंडेंट हर 15 दिन के बाद अपने स्टाफ को रोटेशन समाप्त होने के बाद अपने अस्पताल में वापस बुला लेती है. जब ऐसा सरकारी आदेश नहीं है तो कैसे कर रही हैं. जब गुरु नानक हॉस्पिटल में रोटेशन खत्म होने के बाद स्टाफ वापस जा सकते हैं, तो जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के स्टाफ वापस क्यों नहीं जा सकते?

Last Updated : Sep 26, 2020, 2:28 PM IST

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