नई दिल्ली:संजय गांधी हॉस्पिटल में रोटेशन पर काम करने आए जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के करीब 35 कर्मचारियों ने प्रशासन पर कई आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि पिछले 2 महीनों से उन्हें कोविड वार्ड के पास काम करना पड़ रहा है, जबकि रोटेशन के तहत 14 दिनों बाद उन्हें वापस उनके अस्पताल में भेज दिया जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक उन्हें वापस नहीं भेजा गया है.
2 महीने से रोटेशन ना करने का आरोप 100 एमएल सैनिटाइजर दिया जा रहा
जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के करीब 35 कर्मचारी पिछले 2 महीने से अधिक समय से संजय गांधी हॉस्पिटल में रोटेशन बदलने का इंतजार कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि उनका दफ्तर कोविड वार्ड के बिल्कुल सात कदम की दूरी पर है. हमेशा इनका संपर्क कोरोना मरीजों के साथ होते रहता है. वहीं सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं दी जा रही हैं. दिनभर इस्तेमाल करने के लिए सिर्फ 100 एमएल सैनिटाइजर दिया जा रहा है.
14 दिनों का एक रोटेशन तय था
दिल्ली सरकार के नियम के मुताबिक दिल्ली सरकार के सभी हेल्थ वर्कर्स को कोविड फैसिलिटी, क्वारंटीन सेंटर्स और डिस्पेंसरी में रोटेशन के आधार पर प्रतिनियुक्ति दी गई थी. 14 दिनों का एक रोटेशन तय किया गया. दिल्ली सरकार के सभी हेल्थ केयर वर्कर्स को रोटेशन ड्यूटी पूरा करने के बाद अपने मूल अस्पताल में रिपोर्ट करना होता है.
कर्मचारियों की सुरक्षा के लिहाज से ऐसे नियम बनाए गए थे, ताकि एक स्वास्थ्य कर्मी को ज्यादा समय तक कोविड एरिया में हाई रिस्क जोन में ना रहना पड़े. लेकिन जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के 35 कर्मचारियों का कहना है कि उनका रोटेशन खत्म ही नहीं किया जा रहा है.
जुलाई महीने से लगातार संजय गांधी हॉस्पिटल में दे रहे हैं ड्यूटी
जग प्रवेश अस्पताल के मूल 35 कर्मचारी संजय गांधी अस्पताल में पिछले जुलाई महीने से ड्यूटी दे रहे हैं. जुलाई महीने से ही दिल्ली सरकार ने इस अस्पताल को कोविड अस्पताल घोषित किया है, तभी से यहां दिल्ली सरकार के सभी अस्पतालों में काम करने वाले हेल्थ वर्कर्स को यहां रोटेशन पर 14 दिनों के लिए ड्यूटी देना अनिवार्य है.
'हमेशा कोरोना मरीज के साथ रहते हैं'
जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के एक हेल्थ वर्कर ने नाम नहीं लेने की शर्त पर बताया कि संजय गांधी अस्पताल के पांचवी फ्लोर, जहां एचडीयू है. उसके बिल्कुल साथ में कोरोना वार्ड है, वहीं पर उन्हें ड्यूटी के लिए तैनात किया गया है. वो लोग कोरोना मरीजों के पास ही काम कर रहे हैं. एक तरफ सरकार सोशल डिस्टेंस की बात करती है. वहीं कोरोना मरीजों से सोशल डिस्टेंस रखने को कहती है, लेकिन यहां तो सात कदम की दूरी पर बहुत सारे कोरोना मरीज रहते हैं.
'दूसरे हॉस्पिटल के स्टाफ का हो रहा है रोटेशन'
हेल्थ वर्कर्स का आरोप है कि वो शारीरिक और मानसिक परेशानियों के दौर से गुजर रहे हैं. नोडल ऑफिसर को कई बार शिकायत की गई है, लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है. गुरु नानक हॉस्पिटल, जीबी पंत हॉस्पिटल, जीटीबी हॉस्पिटल, दीनदयाल हॉस्पिटल, हेडगेवार हॉस्पिटल और जग प्रवेश चंद्र हॉस्पिटल के स्टाफ को हर 14 दिन पर रोटेशन किया गया है.
हेल्थ वर्कर्स ने आरोप लगाया कि सिर्फ दीपचंद हॉस्पिटल के स्टाफ को छोड़कर बाकी सभी हॉस्पिटल के स्टाफ हर 14 दिन के बाद अपने मूल हॉस्पिटल में चले जाते हैं. जुलाई महीने से दीपचंद हॉस्पिटल के इन कर्मचारियों को रोटेशन खत्म होने के बाद इनके मूल हॉस्पिटल जग प्रवेश चंद्र हॉस्पिटल में नहीं भेजा गया है.
'मेडिकल सुपरिटेंडेंट देते हैं आदेश ना होने का हवाला'
स्टाफ ने बताया कि जब वे अपने मेडिकलसुपरिटेंडेंट से बात करते हैं तो उन्हें ये कहा जाता है कि सरकार की तरफ से उनके पास ऐसा कोई आदेश नहीं आया है. लेकिन गुरु नानक हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट हर 15 दिन के बाद अपने स्टाफ को रोटेशन समाप्त होने के बाद अपने अस्पताल में वापस बुला लेते हैं. जब ऐसा सरकारी आदेश नहीं है तो कैसे कर रही हैं. जब गुरु नानक हॉस्पिटल में रोटेशन खत्म होने के बाद स्टाफ वापस जा सकते हैं, तो जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के स्टाफ वापस क्यों नहीं जा सकते?
संजय गांधी हॉस्पिटल में 72 कोविड मरीजों का चल रहा है इलाज
आपको बता दें कि संजय गांधी हॉस्पिटल में कुल 72 कोविड मरीजों का इलाज चल रहा है. 44 गंभीर मरीजों का इलाज एचडीयू डिपार्टमेंट में हो रहा है. यहां तैनात हेल्थ वर्कर अस्पताल प्रशासन को लेकर काफी शिकायतें कर रहे हैं.