नई दिल्ली: 26 साल की पर्ल गुप्ता नामक महिला को यह कभी अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि स्विमिंग पूल में की गई उनकी एक गलती से उनका पूरा जीवन बर्बाद हो सकता है. वह स्विमिंग पूल में जब तैरने के लिए उतरी तो उन्होंने सिर के बल छलांग लगाई, जिससे उनकी गर्दन की हड्डियां छतिग्रस्त हो गईं. इस कारण वह लकवाग्रस्त की स्थिती में चली गईं, फिलहाल इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर (ISIC) के सर्जनों के अनुभव और विशेषज्ञता के परिणामस्वरूप वह अब अपनी लकवाग्रस्त स्थिति से उबर चुकी है और पहले से काफी हद तक ठीक भी हो चुकी हैं.
इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर (ISIC) के मिनिमली इनवेसिव और स्पाइनल डिफ़ॉर्मिटी रोबोटिक सर्जन के सीनियर कंसल्टेंट और यूनिट चीफ डॉ. गुरुराज सांगोंडीमठ ने पर्ल की रीढ़ की सर्जरी सफलतापूर्वक की. उन्होंने बताया कि लोग जागरुकता की कमी के कारण स्थिर पानी में सिर के बल कूदते हैं, जिससे उनकी गर्दन की हड्डियां छतिग्रस्त हो जाती हैं और वो चोट लगने से लकवाग्रस्त की स्थिति में चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि हम स्पाइनल फ्यूजन और फिक्सेशन सर्जरी करते हैं, जिसमें आमतौर पर लगभग डेढ़ से तीन घंटे लगते हैं. इसके बाद मरीज को ठीक होने में डेढ़ से छह महीने का वक्त लग सकता है.
स्थिर पानी में सिर के बल छलांग लगाना है खतरनाक:पर्ल गुप्ता के बारे में बात करते हुए डॉ. गुरुराज ने बताया कि लोगों में तैराकी को लेकर जागरुकता की कमी के चलते, जब वे स्थिर पानी में सिर के बल छलांग लगाते हैं तो उनकी गर्दन की हड्डी टूट जाती है. पर्ल के मामले में भी यही हुआ, उसने जैसे ही स्विमींग पूल में छलांग लगाया उसकी गर्दन अंदर से छतिग्रस्त हो गई, फिर उसे आईएसआईसी में लाया गया. गहन मूल्यांकन के बाद यह बात पता चली कि जहां गर्दन की हड्डी रीढ़ से जुड़ी हुई थी वहीं पर फ्रैक्चर हो गया था. इस स्थिति में फ्रैक्चर को स्थिर करने, दबाव को दूर करने व रीढ़ की हड्डी को डीकंप्रेस करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता थी, जिसके बाद यह जटिल सर्जरी की गई और उसे बचाया गया.