नई दिल्ली: बेहतर इलाज मिलने की उम्मीद में लोग हजारों किलोमीटर की यात्रा कर दिल्ली के एम्स पहुंचते हैं. यह सोचकर कि यह सरकारी अस्पताल है और यहां खर्चा नहीं आएगा. मुफ्त में अच्छा इलाज मिल जाएगा, लेकिन डॉक्टर से मिलने के अलावा अलग-अलग तरह की जांच, दवाईयां, सर्जरी और ऑपरेशन के बहुत सारे खर्चे सामने आते हैं तो उनके होश फाख्ता हो जाते हैं. गरीब मरीजों के लिए एम्स में भी कई तरह की आर्थिक सहायता उपलब्ध है. जिसकी जानकारी मरीजों को नहीं होती है. एम्स में एक ऐसा विभाग है. मेडिकल सामाजिक कल्याण विभाग. इसमें मेडिकल सामाजिक कल्याण अधिकारी आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों की मदद करते हैं. उन्हें अस्पताल में मिलने वाली सरकारी सुविधाएं प्राप्त करने में गाइड करते हैं.
एम्स के सोशल सर्विस ऑफिसर एसोसिएशन के सचिव राजीव मैखुरी बताते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान जब लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं. ऐसे में हम अपनी ड्यूटी करने के अलावा लोगों को जागरूक करने का काम में भी लगे हुए हैं. लोगों के मन से कोरोना का डर निकालने और उन्हें इस बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से एम्स सोशल सर्विस ऑफीसर्स एसोसिएशन मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज की सोशल डिपार्टमेंट के साथ मिलकर एक वेबिनार का आयोजन किया. इस वेबिनार में देश के अलावा विदेशों से भी सोशल वर्क स्टूडेंट, पब्लिक वर्क स्टूडेंट, स्कॉलर शिक्षाविद समेत तकरीबन 600 लोगों ने हिस्सा लिया. पीजीआई चंडीगढ़ से मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ सोशियोलॉजी, एम्स नई दिल्ली से मेडिकल सोशल वर्कर एक्सपर्ट के रूप में हिस्सा लिया. इसमें मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल में मिलने वाले विभिन्न आर्थिक मदद के लिए सोशल वर्क ऑफिसर की भूमिका को लेकर चर्चा हुई.
सरकारी स्कीम्स के तहत करते हैं मदद
राजीव बताते हैं कि किसी भी सरकारी हॉस्पिटल चाहे वह दिल्ली का एम्स हो या पीजीआई चंडीगढ़ हो या पीजीआई लखनऊ हो या किसी राज्य या केंद्र सरकार के अस्पताल जो मरीज इन अस्पतालों में इलाज कराने के लिए आते हैं. इलाज के दौरान अगर उन्हें किसी तरह की आर्थिक दिक्कत आती है. यानी मरीजों के इलाज के क्रम में जांच या ऑपरेशन के पैसे में दिक्कत आ रही है. अगर अस्पताल में किसी खास मेडिकल प्रोसीजर के लिए कुछ निश्चित राशि मरीजों को बताई जाती है जो खर्च उनके बस की बात नहीं है, तो ऐसे में क्या करना चाहिए? क्या इन मरीजों को अपना इलाज अधूरा छोड़ देना चाहिए ? अपनी सर्जरी छोड़ देनी चाहिए ? ऐसे मरीजों की आर्थिक मदद के लिए सरकार की कुछ योजनाएं हैं. उन योजनाओं के बारे में इन मरीजों को कुछ पता नहीं होता है. मेडिकल सोशल वेलफेयर ऑफिसर के तौर पर हम लोगों का यह दायित्व होता है कि जो मरीज पैसों की तंगी की वजह से कोई महत्वपूर्ण सर्जरी या ऑपरेशन बीच में ही छोड़ देते हैं या नहीं करने की स्थिति में होते हैं उन्हें हम सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में बताते हैं.
सलाह से लेकर आर्थिक मदद मिलने तक करते हैं मदद