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अलविदा: पंचतत्व में विलीन हुए हिंदी के बड़े आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह - हिंदी आलोचक

नई दिल्ली: हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक डॉ. नामवर सिंह पंचतत्व में विलीन हुए. उनका अंतिम संस्कार लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में किया गया. मंगलवार रात 11:51 पर उन्होंने 93 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली. वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

पंचतत्व में विलीन हुए हिंदी के बड़े आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह

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Published : Feb 20, 2019, 8:50 PM IST

दिल्ली के एम्स अस्पताल में हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक नामवर सिंह ने रात 11:51 मिनट पर अंतिम सांस ली. वहीं, एम्स से दोपहर में करीब 12 बजे उनका पार्थिव शरीर उनके घर पर लाया गया.

जहां पर कुछ देर लोगों के दर्शन के बाद अंतिम संस्कार के लिए पार्थिव शरीर को लोधी रोड पर स्थित श्मशान घाट में लाया गया. जहां उनके बेटे ने पार्थिव शव को मुखाग्नि दी. इस दौरान उनके परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे.

पंचतत्व में विलीन हुए हिंदी के बड़े आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह

ये लोग पहुंचे अंतिम दर्शन के लिए
वहीं डॉ. नामवर सिंह के अंतिम दर्शन करने के लिए साहित्यकार, पत्रकार पहुंचे जिनमें हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा, कवि अशोक वाजपेई, कवि अशोक चक्रधर, कवि मंगलेश डबराल, प्रोफेसर अब्दुल बिस्मिल्लाह खान, कवि आलोक श्रीवास्तव समेत कई दूसरे बड़े साहित्यकार, लेखक और आलोचक पहुंचे.

डॉ नामवर सिंह का जन्म 1926 में उत्तर प्रदेश के बनारस के जीयनपुर गांव में हुआ था. वह हिंदी साहित्य के बड़े रचनाकार हजारी प्रसाद द्विवेदी के शिष्य थे. उन्होंने काशी विश्वविद्यालय से साहित्य में एमए में और पीएचडी किया.

जिसके बाद कई वर्षों तक यहां पर पढ़ाया. उसके बाद सागर विश्वविद्यालय और जोधपुर विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया. लेकिन उन्होंने सबसे लंबे समय तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाया और यहां से रिटायर होने के बाद एमिरेट्स प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाते रहे. वह साहित्य अकादमी अवॉर्ड से भी सम्मानित किए गए थे.

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