नई दिल्ली:देश की राजधानी में कोरोना नया रिकॉर्ड बना रहा है. कोरोना मामलों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. गुरुवार को 6 हजार 715 कोरोना के नए मामले सामने आए. इस तरह दिल्ली में अब तक कुल 4 लाख 16 हजार कोरोना पॉजिटिव केस आ चुके हैं. वहीं अब तक 6 हजार 769 लोग कोरोना की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. लेकिन पिछले 4 महीने में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले सामने आए हैं. कोरोना के इस विकराल रूप को देखते हुए दिल्ली सरकार ने अस्पतालों में सामान्य बेड और आईसीयू बेड की संख्या बढ़ा दी है.
दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर का कहर तीसरी लहर से घबराई सरकारदिल्ली में लगातार करोना के मरीजों की संख्या बढ़ते देख दिल्ली सरकार ने भी सरकारी अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया है. पहले से कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित बेड के अलावा और भी अतिरिक्त बेड्स आरक्षित किए जा रहे हैं. ऐसा कोरोना की तीसरी लहर की गंभीरता को देखते हुए किया जा रहा है.
8 अस्पतालों में बढ़ाये गए बेड्सदिल्ली सरकार द्वारा जारी एक सर्कुलर के मुताबिक दिल्ली के सभी आठ अस्पतालों में सामान्य और आईसीयू बेड की संख्या बढ़ा दी गई है. डीडीयू और अंबेडकर हॉस्पिटल में 100 सामान्य बेड्स और 20 आईसीयू बेड कोरोना के मरीजों के लिए रिजर्व किए गए हैं. इसी तरह राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सामान्य बेड 150 रिजर्व किए गए हैं. इसके अलावा भगवान महावीर हॉस्पिटल, संजय गांधी हॉस्पिटल, आचार्य भिक्षु हॉस्पिटल में भी 50 सामान्य बेड्स और 10 -10 आईसीयू बेड रिजर्व किए गए हैं. वहीं डीप चंद बंधु हॉस्पिटल और बुरारी हॉस्पिटल में 20 - 20 आईसीयू के बेड्स आरक्षित किये गए हैं. इस संबंध में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने सभी संबंधित अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट और मेडिकल डायरेक्टर को तत्काल सर्कुलर में दर्शाए गए सामान्य बेड्स और आईसीयू वेड्स में कन्वर्ट करने का आदेश दिया है.
निजी अस्पतालों के 75 फीसदी बेड्स कोरोना के मरीजों के लिए रिज़र्वकोरोना के दबाव की वजह से निजी अस्पतालों की भी 75% आईसीयू बेड्स कोरोना के लिए आरक्षित कर लिया गया है. दिल्ली सरकार के कोरोना ऐप के मुताबिक दिल्ली के अस्पतालों के 46 फ़ीसदी बेड कोरोना के मरीजों से भर गए हैं. दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के अधिकतर आईसीयू बेड फिलहाल खाली हैं. पिछले सप्ताह से दिल्ली सरकार और निजी अस्पतालों के बेड्स कोरोना के मरीजों से भरने लगे हैं. विशेषज्ञ इसे प्रदूषण की वजह से सांस लेने में होने वाली दिक्कत और कोरोना की गंभीर मामलों में सांस लेने की परेशानी वाले मरीज आईसीयू में एडमिट किए जा रहे हैं.
पिछले सप्ताह से बढ़ने लगी कोरोना मरीजों की संख्याआमतौर पर कोरोना का इलाज के लिए अस्पताल में एडमिट मरीजों को अस्पताल में 7 से 10 दिनों तक रुकना पड़ता है. नए मरीजों को अस्पताल में दाखिला तभी मिल सकता है, जब इन मरीजों को डिस्चार्ज किया जाएगा. दिल्ली सरकार दिल्ली के सरकारी अस्पताल के अलावा निजी अस्पतालों को भी कोरोना मरीजों लिए बेड्स रिजर्व करने को कहा है. हल्के लक्षणों वाले मरीजों का इलाज तो घर पर हो सकता है, लेकिन कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए अस्पताल में एडमिट करने की जरूरत होती है. कोरोना की वजह से मल्टीप्ल ऑर्गन फैलियर होने की आशंका होती है इसीलिए क्रिटिकल केयर भी बहुत जरूरी होता है.