नई दिल्ली:राजधानी में यमुना नदी के पुनरुद्धार के काम में लगे प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं सामाजिक कार्यकर्ता मनोज मिश्रा की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई. कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें 10 अप्रैल को भोपाल के एक अस्पताल में भर्ती किया गया था. उसके बाद उनका ऑक्सीजन सैचुरेशन लगातार गिरता गया, जिससे वह उबर नहीं पाए. उन्होंने रविवार दोपहर 12.40 बजे अंतिम सांस ली. यह जानकारी उनके संबंधी ने उन्हीं के टि्वटर हैंडल से ट्वीट करके दी. वह अपनी मां के देखभाल के लिए स्थाई रूप से भोपाल शिफ्ट हो गए थे.
हो गया था मृत्यु का आभास: इससे पहले जब वे कोरोना संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे तो उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि कोविड-19 रंग दिखा रहा है. ऑक्सीजन का स्तर कम होने के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. जब उन्हें अपने मृत्यु का आभास होने लगा तो उन्होंने ट्वीट कर लिखा था, 'रहे न रहे हम, महका करेंगे.'
वहीं, 8 अप्रैल को अपने एक ट्वीट में उन्होंने एक कंपनी की आयुर्वेदिक दवा की पैकिंग को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा था कि जमाना बदल गया है और तकनीक भी बदल गया है. फिर भी देश की जानी मानी कंपनी दवा की बॉटलिंग प्रोसेस को आसान नहीं कर पाई है. इस दवा के ढक्कन को खोलने के लिए आधे घंटे तक जूझना पड़ा.
उपराज्यपाल ने ट्वीट कर जताया शोक:उनकी इस आकस्मिक मौत पर दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने शोक प्रकट करते हुए ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, 'मनोज मिश्रा जी के असामयिक निधन से स्तब्ध और दुखी हूं. वह पर्यावरण के लिए एक योद्धा और यमुना नदी के पुत्र बने रहे, जो उसके पुनरुद्धार के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे. उनके निधन ने हमें यमुना के कायाकल्प के मार्ग पर एक मूल्यवान सह यात्री से वंचित कर दिया है. शोक-संतप्त परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं.