नई दिल्ली: दुबई की रहने वाली एक मध्यम वर्गीय भारतीय महिला के इंसुलिनोमा ट्यूमर का सर गंगा राम अस्पताल के डाक्टरों ने लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से सफलतापूर्वक इलाज किया है. महिला ट्यूमर की वजह से बार-बार बेहोशी, कंपकंपी और धड़कन की समस्या से पीड़ित थी.
सर गंगाराम अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पेनक्रिएटिक-बिलियरी साइंसेज के चेयरमैन डॉ. अनिल अरोड़ा ने बताया कि अस्पताल में आने से पहले डॉक्टरों ने दुबई में महिला का सीटी, एमआरआई और पेट की कई जांच के साथ उसका मूल्यांकन किया. लेकिन वे बीमारी के कारण का पता नहीं लगा पाए. यहां आने पर हमने एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड नामक एक उन्नत एंडोस्कोपिक प्रक्रिया से परीक्षण किया, जिसमें डुओडेनम (छोटी आंत का पहला भाग) के पास एक छोटा 1.4 x1.6 सेमी का ट्यूमर मिला. फिर माइक्रोस्कोप के तहत परीक्षण के लिए सुई के माध्यम से एक नमूना निकाला, जिसमें एक इंसुलिनोमा ट्यूमर की पुष्टि हुई.
दुर्लभ ट्यूमर है इंसुलिनोमा:डॉ. अनिल अरोड़ा ने बताया कि इंसुलिनोमा दुर्लभ ट्यूमर है जो बड़ी मात्रा में इंसुलिन स्रावित करता है. यह प्रति 10 लाख मामले में 4 देखा जाता है. इसके करीब 98 प्रतिशत मामले अग्न्याशय में या उसके पास पाए जाते हैं. वहीं दो प्रतिशत मामले शरीर में कहीं और पाए जाते हैं. महिला मरीज को जो ट्यूमर था उसे एक्टोपिक या अतिरिक्त-अग्नाशयी इंसुलिनोमा कहते हैं. सीटी स्कैन और एमआरआई द्वारा इन ट्यूमर को आसानी से डायग्नोस किया जा सकता है. ऐसे मामलों में एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड ट्यूमर का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हालांकि, एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (ईयूएस) पर भी ऑपरेटर अनुभव और कौशल एक जटिल कारक हैं.