नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली में प्रदूषित होती यमुना को बचाने के लिए डीडीए की ओर से विशेष पहल की गई है. यमुना के प्रदूषित होने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि बहुत से नालों का पानी बिना ट्रीटमेंट किए सीधे नदी में पहुंच रहा है. इस पहल के तहत नालों के गंदे पानी को प्राकृतिक तरीके से बिना बिजली का इस्तेमाल किए साफ करके यमुना में पहुंचाया जा रहा है. इसके लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की बजाय वेटलैंड तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए सराय कालेखां के पास यमुना नदी के किनारे 12 वेटलैंड बनाए गए हैं.
इससे दक्षिणी दिल्ली के लगभग 25 नालों और सीवर के पानी को साफ करके यमुना तक पहुंचाने की योजना है. पानी साफ करने के लिए यहां अलग-अलग वाटर चैनल बनाए गए हैं. ये सभी वेटलैंड और वाटर चैनल कालिंदी बायोडायवर्सिटी पार्क में बनाए गए हैं. बटला हाउस, जाकिर नगर, खिजराबाद, तैमूर नगर, महारानी बाग आदि इलाकों से आने वाले नालों के पानी की सफाई शुरू हो गई है. नाले और सीवर के पानी को साफ करने की यह प्रक्रिया पूरी तरह से प्राकृतिक है. इसमें न तो बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा है और न ही कोई मशीन.
दिल्ली विकास प्राधिकारण का यह बायोडायवर्सिटी पार्क दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एनवायरमेंटल मैनेजमेंट ऑफ डिग्रेडेड ईकोसिस्टम्स के हेड प्रोफेसर सीआर बाबू के नेतृत्व में बनाया जा रहा है. इसके इंचार्ज डॉक्टर फैयाज खुदसर हैं. पार्क के साइंटिस्ट इंचार्ज यासिर अराफात ने बताया कि अभी यहां पर एनएचएआई का काम चल रहा है जिसकी वजह से पाक का काम बाधित है. एनएचएआई का काम पूरा हो जाने के बाद प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा किया जाएगा.
गंदे पानी को साफ करने के लिए पानी को तीन चैनलों से गुजारा जाता है. सबसे पहले चैनल में लगी जाली से छनकर पानी ऑक्सीडेशन पोंड में पहुंचता है. इससे पॉलिथिन, प्लास्टिक की बोतल समेत सारा कचरा निकल जाता है. ऑक्सीडेशन चैनल का पानी पत्थरों के बीच से रिसकर फिल्टरेशन पोंड में पहुंचता है. यहां तक आते-आते पानी काफी साफ हो जाता है. फिल्टरेशन पोंड में पानी को और साफ करने के लिए वेटलैंड में टाइफा, फ्रेगमाइटिस, साइप्रस, आइपोमिया, अल्ट्रानाइमिया समेत 25 तरह के जलीय पौधे लगाए गए हैं. ये पौधे पानी में मौजूद हानिकारक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं और पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते हैं.