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एम्स: रिजेक्ट किए गए डॉक्टर ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र, जाने क्या है पूरा मामला

दिल्ली के एम्स में बुजुर्गों के इलाज के लिए बने जीरिएट्रिक डिपार्टमेंट में कॉन्ट्रैक्ट पर एक असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति निकाली गई थी. जो कि एससी के लिए आरक्षित थी. इसके लिए सिर्फ एक उम्मीदवार ने एप्लाई किया था, जिसे एम्स प्रशासन ने रिजेक्ट करते हुए नॉट फिट करार दिया है. जिस पर उसने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखा है, जिस पर एनसीएससी ने एम्स के डायरेक्टर से 15 दिन के अंदर जवाब मांगा है.

doctor rejected from AIIMS wrote a letter to the Union Health Minister in delhi
रिजेक्ट किए गए डॉक्टर ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र

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Published : Oct 17, 2020, 6:45 AM IST

नई दिल्ली: एम्स में बुजुर्गों के इलाज के लिए बने जीरिएट्रिक डिपार्टमेंट में फैकल्टी की भारी कमी है. हाल ही में एम्स के इस डिपार्टमेंट में कॉन्ट्रैक्ट पर एक असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति निकाली थी. एक पोस्ट के लिए सिर्फ एक उम्मीदवार ही पहुंचा था, जिसे एम्स प्रशासन ने रिजेक्ट करते हुए नॉट फिट करार दिया. वह भी तब जब इंटरव्यू देने वाले उम्मीदवार ने एम्स से 3 साल की एमडी की डिग्री और 3 साल बतौर सीनियर रेजिडेंट जीरिएट्रिक डिपार्टमेंट में काम किया है. रिजेक्ट किए जाने के बाद डॉक्टर ने जहां एक तरफ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखा है, वहीं डॉक्टर की शिकायत के बाद नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट ने एम्स के डायरेक्टर से जवाब-तलब किया है और 15 दिन के अंदर जवाब मांगा है.

एम्स ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए एकलौते उम्मीदवार को किया रिजेक्ट

एससी कटेगरी के लिए निकाली गई थी भर्ती

मामला एम्स के पूर्व सीनियर रेजिडेंट डॉ. हरजीत सिंह भट्टी की नियुक्ति का है. डॉ. भट्टी ने इस मामले में एनसीएससी को पत्र लिखकर इसमें दखल देने की अपील की है. उनके अनुसार 10 अगस्त को एम्स की तरफ से एक विज्ञापन जारी कर अलग-अलग डिपार्टमेंट में कॉट्रैक्ट पर फैकल्टी की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे. जीरिएट्रिक विभाग में एक पद की नियुक्ति निकाली गई थी. नियुक्ति रिजर्व कैटिगरी एससी सीट के लिए थी. 25 अगस्त को हुए इंटरव्यू में वह एकमात्र उम्मीदवार थे. बावजूद इसके एम्स प्रशासन ने उन्हें नॉट फिट करार देते हुए रिजेक्ट कर दिया.

फैकल्टी की सख्त जरूरत

डॉ. भट्टी का कहना है कि कोरोना का दौर चल रहा है, सबसे ज्यादा दिक्कत और खतरा बुजुर्गों को है फिर भी प्रशासन इसको लेकर गंभीर नहीं है. उनका कहना है कि इस समय एम्स के जीरिएट्रिक डिपार्टमेंट में 2 परमानेंट और एक कॉट्रैक्ट पर यानी केवल 3 फैकल्टी है. इस विभाग को अभी ऐसी फैकल्टी की सख्त जरूरत है, बावजूद प्रशासन ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया. उनका यह भी कहना है कि जब एक ही सीट है और एक ही उम्मीदवार ने इंटरव्यू दिया है तो किस आधार पर रिजेक्ट किया जा रहा है, यह समझ से परे है. इसलिए इस मामले को लेकर डॉ. भट्टी ने पहले केंद्रीय मंत्री को पत्र लिख कर उनका ध्यान इस ओर दिलाया और बाद में एनसीएससी से इस मामले में दखल देने की अपील की.

एनसीएससी ने मांगा जबाब

एनसीएससी की तरफ से एम्स के डायरेक्टर को लिखे पत्र में साफ कहा गया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए कमीशन ने इसकी जांच करने का फैसला किया है. जो भी डॉ. भट्टी का आरोप है, उसका जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है. जवाब नहीं देने पर मामला सिविल कोर्ट में भी ले जाने की बात कही गई है.

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