नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली नगर निगम(North MCD) के कस्तूरबा गांधी अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ पिछले तीन महीने से सैलरी नहीं मिलने की वजह से एक बार फिर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. पिछले 14 दिनों से धरना प्रदर्शन हो रहा है, लेकिन अभी तक सैलरी के लिए किसी ने आश्वासन नहीं दिया है.
एक बार फिर नर्सिंग स्टाफ का प्रदर्शन 15 सितंबर से लगातार प्रदर्शन
आपको बता दें कि बीते वर्ष भी 15 सितंबर से लगातार चार महीने की सैलरी की मांग को लेकर लंबे समय तक धरना प्रदर्शन करते रहे तब जाकर उन्हें किश्तों में सैलरी मिल पाई थी. उस समय उन्हें आश्वासन दिया गया था कि आगे से उनकी सैलरी नियमित कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा हो न सका. तीन महीने की सैलरी एक बार फिर होल्ड हो गई है. दिल्ली नर्सिंग स्टाफ यूनियन का कहना है कि बिना सैलरी परिवार नहीं चलता है. परिवार चलाने के लिए पैसे की जरूरत होती है, जिसके लिए वे लोग हॉस्पिटल में अपनी सेवा दे रहे हैं, लेकिन ना तो दिल्ली सरकार और ना ही एमसीडी उनकी समस्या को गंभीरता से ले रहे हैं.
दो अलग-अलग पार्टियों का भुगत रहे खामियाजा
नर्सिंग स्टाफ यूनियन का मानना है कि एमसीडी अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. क्योंकि उनकी सेवा दिल्ली सरकार और एमसीडी की सीमा विवाद में फंसा हुआ है. यह समस्या तब नहीं होती जब दिल्ली सरकार और एमसीडी में एक ही पार्टी की सरकार होती. दो अलग-अलग पार्टियों की सरकार होने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है.
सीमा विवाद में उलझी सैलरी की समस्या
एक तरफ दिल्ली सरकार कहती है कि उन्होंने उनकी सैलरी के पैसे एमसीडी को दे दिए हैं जबकि एमसीडी का कहना है कि उन्हें दिल्ली सरकार ने उनको सैलरी देने के लिए पैसा नहीं दिया है। इसी विवाद के बीच उनकी सैलरी पिछले 3 महीने से फंसी पड़ी है. दिल्ली नर्सिंग स्टाफ यूनियन के अध्यक्ष बीएल शर्मा ने बताया कि पिछले 4 जनवरी से 3 महीने की सैलरी नहीं मिलने की वजह से प्रोटेस्ट कर रहे हैं, लेकिन अभी तक हमें सैलरी देने की बात मानने के लिए कोई अधिकारी ना तो दिल्ली सरकार की तरफ से और ना ही एमसीडी की तरफ से आया है.
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प्रोटेस्ट खत्म करने के लिए अस्पताल प्रशासन का दबाव
शर्मा ने बताया कि जब तक सैलरी नहीं मिलेगी तबतक वे अपना प्रोटेस्ट खत्म नहीं करेंगे. पिछली बार सितंबर महीने में जब प्रोटेस्ट किया था तो हमें आश्वाशन दिया गया था कि आगे से हमारी सैलरी नियमित हो जाएगी, लेकिन फिर वही सैलरी को होल्ड पर रखने का ड्रामा शुरू हो गया है. इस बार तय कर लिए हैं. काम तभी करेंगे जब हमें सैलरी मिलेगी.