नई दिल्ली:कोरोना संक्रमण (Corona infection) कब किसके परिवार को लील जाएगा या घरवालों को सड़क पर ला देगा कोई नहीं जानता है. राजधानी दिल्ली में सैकड़ों ऐसे परिवार हैं जिनके मुखिया की कोरोना ने जान ले ली और परिवार अनाथ असहाय हो गया. ऐसा ही एक निचले मध्यमवर्ग परिवार की कहानी आपको बताते हैं जो अपने पति के कोरोना संक्रमण (Corona infection) के कारण हुई मौत के बाद अपने दो बेटियों को साथ लेकर खुदकुशी करने निकली थी.
जानकारी मिलते ही स्थानीय पार्षद (Local councilor) और स्थानीय एनजीओ (NGO) के अधिकारी ने उन्हें समझा बुझाकर घर लाया. उनकी चिंताओं का निदान करते हुए परिवार की आजीविका चलाने और उनकी दोनों बच्चियों के भविष्य को उज्जवल बनाने के सभी कार्य को सम्पन्न करवाने की जिम्मा उठाया.
पूजा कर रो-रोकर बुरा हाल है जब घर का मुखिया ही चला जाए तो हिम्मत तो टूटती ही है. 25 मई को मनमोहन का निधन हो गया था, उन्हें करोना था. अचानक इस हादसे ने मानों पूजा पर दुखों का पहाड़ ही टूट गया. एक तरफ 2 बेटियों और 84 वर्षीय बुजुर्ग की जिम्मेदारी और दूसरी तरफ घर के मुखिया का चला जाना. अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है कि परिवार पर क्या बीत रही होगी.
मृतक मनमोहन शर्मा प्राइवेट नौकरी करते थे, जिससे उनका भलीभांति घर चलता था पर अब वो नहीं तो सब कुछ खत्म, ऐसा उनकी पत्नी का मानना है. मनमोहन की पत्नी पूजा शर्मा अनपढ़ हैं, वो हमेशा घर में रहकर एक अच्छी हाउस वाइफ बनकर कर परिवार को चलाती रहीं और पति बाहर काम कर पैसे कमाते रहे, लेकिन अब हताश परेशान अपने पति के गुजर जाने के बाद पूजा को कहीं से कुछ भी उम्मीद मिलती न देख उसने अपने सीने पर पत्थर रख दोनों बच्चियों के साथ खुदकुशी करने के इरादे घर से निकली.
मकान मालिक ने जब परिवार के साथ घर से बाहर जाते देख पूछा तो उसने खुदकुशी की कोशिश (Suicide attempt) करने के बारे में कहा, मकान मालिक के रोकने पर नहीं रूकी. जिसके बाद मकान मालिक ने एनजीओ (NGO) के अधिकारी अर्जुन को इस मामले की जानकारी दी.
अर्जुन ने स्थानीय पार्षद को इस मामले की जानकारी देते हुए तुरंत पीड़ित महिला के पास पहुंच काफी समझाने के बाद उन्हें शांत किया. फिर स्थानीय पार्षद (Local councilor) ने एनजीओ (NGO) अधिकारी के सहयोग से घर में सबसे पहले मकान मालिक को 1 साल तक का 48,000 किराया दिया. घर में राशन, सब्जी, कपड़ा समेत अन्य जरूरत की चीजों की पूर्ति की गई.