नई दिल्ली: कोरोना का कहर दिन-ब दिन बढ़ रहा है. लॉकडाउन बहुत हद तक खुल चुका है. बड़ी तेजी से कोविड संक्रमण के फैलने की आशंका बढ़ गयी है, लेकिन इन दौरान डॉक्टर्स की कोविड क्वारंटाइन सुविधा पर पहरा लगाकर इसे गिने-चुने हाई रिस्क वाले हेल्थ वर्कर्स तक ही सीमित कर दिया गया है. इस बात को लेकर दिल्ली के सभी अस्पतालों के डॉक्टर्स ने अपना विरोध प्रकट किया है. इस पूरे विरोध प्रदर्शन में एम्स के हेल्थ वर्कर्स शामिल हैं, क्योंकि स्वायत्त अस्पताल होने की वजह से इसे ऑटोनोमस इम्युनिटी मिली हुई है.
गाइड लाइंस के विरोध में डॉक्टर्स का मूक प्रोटेस्ट हेल्थ वर्कर्स का मूक विरोध
हेल्थ वर्कर्स को मिलने वाली क्वारंटाइन सुविधा को समाप्त करने का मामला तूल पकड़ लिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इस फैसले का हेल्थ वर्कर्स ने अपना मूक विरोध प्रकट किया है. सांकेतिक रूप से विरोध प्रकट करने के लिए डॉक्टर अपनी बांह पर काली पट्टी बांधकर ड्यूटी करते रहे. फोरम ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है और साथ में चेतावनी भी दी है कि अगर हेल्थ वर्कर्स को क्वारंटाइन सुविधा नहीं दी जाएगी तो वे अपने प्रोटेस्ट को अगले चरण में ले जाएंगे.
नई गाइड लाइंस पर विरोध
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) के संयुक्त सचिव और आरएमएल अस्पताल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. सक्षम मित्तल ने बताया कि 17 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से एक नया क्वारंटाइन गाइड लाइंस जारी किया गया है. इसमें क्वारंटाइन सुविधा में बदलाव कर दिए गए हैं. नए गाइड लाइन के तहत क्वारंटाइन की सुविधा सिर्फ हाई रिस्क वाले हेल्थ वर्कर्स को ही मिलेगी. बाकी सभी हेल्थ वर्कर्स को क्वारंटाइन सुविधा नहीं दी जाएगी.
पहले थी ये सुविधा
डॉ. मित्तल ने बताया कि पहले वाले क्वारंटाइन गाइड लाइंस के तहत सभी हेल्थ वर्कर्स जो कोविड-19 ड्यूटी पर होते थे. उन्हें महीने के दो हफ्ते काम करने होते थे और बाकी के दो हफ्ते होटल में क्वारंटाइन रहते थे. आरएमएल अस्पताल के 90 हेल्थ वर्कर्स को पार्क होटल और वसंतकुंज के हिल्टन होटल में क्वारंटाइन सुविधा दी जा रही थी. जिसे अब नये क्वारंटाइन गाइड लाइंस में समाप्त कर दिया गया है. इतना ही नहीं हेल्थ वर्कर्स को कहा गया कि वो लोग तुरंत होटल खाली कर दें वरना बिल का भुगतान खुद करना होगा.
ऐसा क्या है नए गाइडलाइन में?
डॉ. लेडी हार्डिंग अस्पताल के डॉ. शिवाजी ने बताया कि अभी तक हमारे जो भी हेल्थ वर्कर्स थे. उन्हें आधे महीने के लगातार काम के बाद आधे महीने के लिए क्वारंटाइन सुविधा दी जाती थी. ऐसा इसलिए था क्योंकि कोरोना वायरस का इंक्यूबेशन पीरियड अधिकतम 14 दिनों का होता है. अगर ड्यूटी के दौरान कोई इंफेक्टेड हो भी जाता था तो पता चल जाता था. लेकिन, अब नियम में बदलाव कर दिया गया है. अब सिर्फ हाई रिस्क वाले हेल्थ वर्कर्स को ही क्वारंटाइन सुविधा दी जाएगी. दिक्कत ये है कि 80 फीसदी मामले बिना लक्षणों वाले होते हैं. इसीलिए सावधानी के लिये क्वारंटाइन जरूरी है.
इन हेल्थ वर्कर्स को हाई रिस्क वाला माना गया है
कोविड-19 ड्यूटी के दौरान पीपीई किट अचानक से फट गया हो या किसी संदिग्ध मरीज के ऊपर कोई मेडिकल प्रोसीजर करने के दौरान हेल्थ वर्कर्स पर्याप्त सुरक्षा किट ना पहने हों. बिना मास्क के ही कोविड मरीज को देखे हों और मरीज के साथ 15 मिनट से ज्यादा एक्सपोजर हो तो ऐसे हेल्थ वर्कर्स को हाई रिस्क वाला माना गया है और इन्हें ही क्वारंटाइन की सुविधा पाने का हकदार माना गया है.
डॉ. मित्तल ने बताया कि उन्हें लगता है कि सरकार ने इसलिए गाइडलाइन में बदलाव किया है, क्योंकि होटल के बिल की चिंता हो रही थी. वो नहीं चाहते हैं कि उन्हें किसी होटल में ही क्वारंटाइन किया जाए. किसी अच्छी और साफ सुथरी जगह पर ही क्वारंटाइन किया जाए.