नई दिल्ली: 2020 के अब गिनती के दिन बाकी रह गए हैं. एक अनुमान के मुताबिक भारत की 60 फ़ीसदी आबादी कोरोना से पीड़ित हो चुकी है. इनमें से ज्यादातर वो मरीज हैं जो बिना लक्षणों वाले हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि इतनी बड़ी आबादी के कोविड संक्रमित होने के बाद हर्ड इम्यूनिटी आ चुकी है. अब सवाल यह उठता है कि 2021 की शुरुआत में जब कोरोना वैक्सीन आम लोगों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी, तो क्या सभी लोगों के लिए वैक्सीन लेना जरूरी होगा या पूरी आबादी के केवल कुछ फीसदी लोगों को ही वैक्सीन लेनी होगी? ये सवाल इसलिए अहम हैं, क्योंकि भारत की आबादी बहुत अधिक है और इस अनुपात में वैक्सीन की उपलब्धता बहुत कम है. सवाल यह भी है कि क्या उन लोगों को भी वैक्सीन लेने की जरूरत होगी जो पहले ही कोरना संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं और उनकी बॉडी में कोविड-19 का एंटीबॉडी बन चुकी है?
डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि जिन लोगों को कोरोना हो चुका है उन्हें फिलहाल वैक्सीन लेने की जरूरत नहीं है और ये प्राथमिकता में होंगे भी नहीं. 3 महीने बाद उन्हें वैक्सीन दी जा सकती है. अभी तक वैक्सीन का ट्रायल उन लोगों पर नहीं हुआ है जो पहले ही कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं.
वायरस का रूप बदलने से क्या फर्क पड़ेगा वैक्सीन पर?
वायरस कई बार अपना रूप बदल चुका है। इसके शुरुआती स्ट्रेन की मदद से बनाई गई वैक्सीन क्या कारगर हो पाएगा ? इसको लेकर डॉक्टर अग्रवाल बताते हैं कि हर महीने कोरोनावायरस अपना रूप बदल लेता है, लेकिन अच्छी बात यह है कि ये वैरिएंट्स हैं, स्ट्रैन नहीं हैं. इंग्लैंड में अभी 2020 (12 ए) नामसे एक नया वायरस सामने आया है. यह वायरस का नया वेरिएंट है. लेकिन इससे वैक्सीन की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ता है. अगर स्ट्रेन ही बदल जाए तो बात अलग है. जनवरी 2021 तक वैक्सीन आने की पूरी संभावना है और मार्च 2021 तक भारत में हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त हो जाएगी.
सभी के लिए वैक्सीन जरूरी नहीं
पहले फेज में किसे वैक्सीन दी जाएगी? डॉ अग्रवाल के मुताबिक पहले फेज में बच्चों को वैक्सीन दी जाएगी. दमा के मरीजों को नहीं दी जाएगी. हाई रिस्क में जितने भी लोग हैं और 50 साल के ऊपर के लोग जितने भी हैं उन्हें वैक्सीन लगाई जाएगी. इसके अलावा हेल्थ केयर वर्कर्स को भी लगाई जाएगी. वैक्सीन शरीर में पहुंचकर एंटीबॉडी बनाएगी और कोरोना संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करेगी.