नई दिल्ली: गर्मी की छुट्टियां शुरू होते ही बच्चों का अधिकांश समय घर में व्यतीत होता है, जिससे खेलकूद में बच्चे कभी-कभी बालकनी से गिर जाते हैं या किसी ऊंची चीज पर चढ़कर गिरने से घायल हो जाते हैं. आमतौर पर हर रोज एम्स ट्रामा सेंटर में इस तरह गिर कर घायल हुए तीन से चार बच्चे भर्ती रहते हैं. ऐसे में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए एम्स हर साल सुरक्षित बालकनी के नाम से एक मुहिम चलाता है. इस मुहिम के अंतर्गत एम्स बच्चों के माता-पिता को उनका ख्याल रखने और बालकनी में जाने से बच्चों को रोकने और उनकी निगरानी करने सहित कई तरह के उपाय बताता है.
छुट्टियों के दिनों में बच्चों के घायल होकर एम्स पहुंचने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. एम्स में न्यूरोसर्जरी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर दीपक गुप्ता ने बताया कि पिछले पांच महीने में 50 बच्चे एम्स में ऊंचाई से गिरने की वजह से पहुंचे. इनमें से 60 प्रतिशत बच्चे बालकनी से गिरने वाले थे. बच्चों के सिर में गंभीर चोट लगी थी. इनमें से 10 बच्चों की इलाज के दौरान मौत हो गई. डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि इनमें अधिकांश बच्चे हरियाणा के नूंह और मेवात इलाके के थे. ये बच्चे श्रमिक परिवारों के थे, जिनके माता पिता किराए पर रहकर मजदूरी का काम करते हैं.
आमतौर पर देखा गया है कि श्रमिक छोटे मकानों में रहते हैं और इनके पास एक ही कमरा होता है. अक्सर बच्चों के खेलने के लिए जगह नहीं होती. साथ ही बालकनी भी खुली होती है. डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि एक न्यूरोसर्जन के तौर पर में भी सभी लोगों से कहना चाहता हूं कि बच्चों के साथ होने वाली इन दुर्घटनाओं को थोड़ा सा जागरूक होकर रोका जा सकता है. इसलिए इस जागरूकता अभियान में सहयोग करें.