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AIIMS: गर्मियों में रखें अपने आंखों को सुरक्षित, नेत्र विशेषज्ञ से जानें मोतियाबिंद रोग के बारे में

आंख हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील हिस्सा है. गर्मियों के मौसम में इस पर काफी प्रतिकूल असर पड़ता है. ऐसे में इसका ध्यान रखना जरूरी हो जाता है. एम्स के नेत्र विशेषज्ञ डॉ राजेश सिन्हा ने मोतियाबिंद से पीड़ित मरीजों के लिए सर्जरी कितना फायदेमंद है.

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Published : Jun 21, 2023, 7:00 AM IST

डॉ. राजेश सिन्हा

नई दिल्लीःइन दिनों भीषण गर्मी का दौर जारी है. गर्मी में आंखों को भी काफी नुकसान पहुंचता है. एम्स के नेत्र विशेषज्ञ डॉ राजेश सिन्हा ने बताया कि इस मौसम में लू और धूल के कारण आंख संबंधी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. आंखों में जलन, दर्द होना, खुजली, लालिमा और आंखों में दर्द मुख्य परेशानी है. वायरस और बैक्टीरिया के कारण आंखें लाल हो जाती हैं. गंदी उंगलियां आंखों से लगाने, धूल-धुएं का प्रतिकूल असर, पसीना से यह बीमारी ज्यादा होती है. वायरस मक्खियों व हवा के माध्यम से आंखों तक पहुंचता है. संक्रमण इतना तीव्र होता है कि आंखों में देखने से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है. आंख संबंधी बीमारियां ऐसी हैं कि कॉर्निया क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है. ऐसे में आंखों का ध्यान रखना अधिक जरूरी है.

डॉ राजेश सिन्हा ने यह भी बताया कि आंखों में सफेदपन और लेंस आंख का एक स्पष्ट भाग है, जो लाइट या इमेज को रेटिना पर फोकस करने में सहायता करता है. रेटिना आंख के पिछले भाग पर प्रकाश के प्रति संवेदनशील उत्तक है. सामान्य आंखों में, प्रकाश पारदर्शी लेंस से रेटिना को जाता है. एक बार जब यह रेटिना पर पहुंच जाता है, तब प्रकाश नर्व सिग्नल्स में बदल जाता है जो मस्तिष्क की ओर भेजे जाते हैं. आप इस तरह समझने की कोशिश कीजिए, रेटिना शार्प इमेज प्राप्त करे, इसके लिए जरूरी है कि लेंस क्लियर हो. जब लेंस क्लाउडी हो जाता है तो लाइट लेंसों से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती, जिससे जो इमेज आप देखते हैं, वो धुंधली हो जाती है. इसके कारण दृष्टि के बाधित होने को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया कहते हैं और नजर धुंधली होने के कारण मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों को पढ़ने, नजर का काम करने, कार चलाने विशेषकर रात के समय में समस्या आती है.

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डॉ राजेश सिन्हा ने बताया कि सर्जरी के पश्चात मरीज के लिए स्पष्ट देखना संभव होता है. हालांकि पढ़ने या नजर का काम करने के लिए निर्धारित नंबर का चश्मा पहनने की जरूरत पड़ सकती है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान मोतियाबिंद सर्जरी रिस्टोरेटिव से रिफ्रैक्टिव सर्जरी में बदल चुकी है, यानी कि अब यह न सिर्फ मोतियाबिन्द का इलाज करती है बल्कि धीरे-धीरे चश्मे पर निर्भरता को भी समाप्त करती जा रही है. हम देश के लोगों से कहना चाहते हैं कि आप मेडिकल साइंस पर भरोसा रखें. आधुनिक तकनीकों द्वारा मोतियाबिंद की सर्जरी में लगाए जाने वाले चीरे का आकार घटता गया है, जिससे मरीज को सर्जरी के बाद बेहतर दृष्टि परिणाम एवं जल्द स्वास्थ्य लाभ मिलता है.

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