नई दिल्ली: दो साल की बच्ची अपनी मौत के बाद दो बच्चों को जीवनदान दे गई. दिल्ली की दो साल की बच्ची का दिल अब चेन्नई के 8 महीने के बच्चे में धड़केगा. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली (एम्स) का दावा है कि दो साल की बच्ची ट्रॉमा सेंटर व दिल्ली एनसीआर की यंगेस्ट हार्ट डोनर है. वहीं, पिछले 36 घंटे में एम्स में तीसरा ऑर्गन डोनेशन हुआ है.
दरअसल, राजधानी दिल्ली की रहने वाली दो साल की बच्ची तीसरे फ्लोर पर खेलते हुए नीचे गिर गई थी. इलाज के दौरान उसका ब्रेन डेड हो गया. एम्स की ऑर्गन रिट्रिवल बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन (ORBO) ने काउंसलिंग की. बच्ची की मौत के बाद उसके परिजनों ने अंगदान की सहमति दी. बच्ची का हार्ट चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में एक 8 महीने के बच्चे में ट्रांसप्लांट किया गया. जबकि दोनों किडनी एम्स में एक 17 साल के बच्चे में ट्रांसप्लांट किया गया. वहीं, कॉर्निया प्रिजर्व कर आई बैंक में जमा करा दिया गया है.
वहीं, दूसरा मामला 16 नवंबर का है. 48 साल की महिला नोएडा में रोड एक्सीडेंट की शिकार हो गई थी. उन्हें पहले इलाज के लिए नजदीक के हॉस्पिटल में लाया गया था. सिर में बहुत चोट होने की वजह से उन्हें एम्स ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया. इलाज के दौरान 17 नवंबर को महिला का ब्रेन डेड हो गया. जिसके बाद उनके परिजनों ने अंगदान की सहमति दी. महिला की दो किडनी से दो लोगों की जिंदगी बच गई. एक एम्स में और दूसरी किडनी आर्मी हॉस्पिटल में मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया.
वहीं, एक दिन पहले 54 साल के व्यक्ति का इलाज के दौरान ब्रेन डेथ हो गया. उनके परिजनों के अंगदान की सहमति से तीन लोगों को नई जिंदगी मिल गई. एक लिवर और एक किडनी आर्मी हॉस्पिटल में दो अलग-अलग मरीजों में ट्रांसप्लांट किया गया, जबकि एक किडनी एम्स में एक मरीज को लगाया गया. इन तीन डोनेशन से 7 को नई जिंदगी मिली. इस साल एम्स में अब तक 12 डोनेशन हो चुके हैं. वहीं, पिछले साल 16 हुए थे और 80 को नई जिंदगी मिली थी.
बता दें कि भारत में अंगदान को लेकर जागरूकता का अभाव है. अक्सर परिवार के लोग अंगदान करने से मना कर देते हैं, क्योंकि उन्हें इस बारे में पता ही नहीं होता है. देशभर में अंगदान के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है. बता दें कि भारत में प्रति दस लाख आबादी पर अंगदान दर 0.4 (दुनिया में सबसे कम) है.