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महामारी से लड़ने के लिए एम्स डॉक्टर ने स्लाइड शो के जरिए की हेल्थ बजट बढ़ाने की मांग - कोरोना अपडेट

पूरे देश में कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है. देश का हेल्थ सिस्टम इतना अच्छा नहीं है. देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स के डॉक्टर ने एक मौन स्लाइड शो के माध्यम से देश की सरकार को जगाने की अनोखी पहल की है.

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हेल्थ बजट बढाने की मांग

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Published : Aug 11, 2020, 10:35 AM IST

नई दिल्ली:कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था रसातल में जा रही है. हम कोरोना वायरस से ठीक से इसीलिए नहीं निपट पा रहे हैं क्योंकि हमारी देश का हेल्थ सिस्टम अच्छा नहीं है. एम्स के डॉक्टर ने देश के हेल्थ सिस्टम को उजागर करने के लिए एक स्लाइड शो तैयार किया है. इसके माध्यम से सरकार का ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश की गई है.

हेल्थ बजट बढाने की मांग

कोरोना काल में हेल्थ सिस्टम पर सवाल उठाने का एक अनोखा उपाय एम्स के डॉक्टर अपना रहे हैं. मौन रहकर अपनी बात कागज के पन्नों पर उतारकर सरकार को अपने मन की बात बता रहे हैं.

कागज पर लिखी अपनी बात


कार्डियो रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह अपने हाथ में कागज का एक पुलिंदा रखे हुए हैं. उनके हाथों में कागज का एक-एक पन्ना एक खूबसूरत संदेश को छुपाए हुए हैं. पहला पन्ना पलटते हैं. इस पर संदेश लिखा है कि अगर हम ज्यादा हॉस्पिटल और कम युद्ध की बात करते हैं तो हम गलत नहीं है. दूसरे पन्ने में लिखा है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का सिर्फ डेढ़ से दो परसेंट ही हेल्थ सिस्टम पर खर्च होता है. इसीलिए हम कोरोना महामारी से निपटने को तैयार नहीं है. तीसरा पेज पलटते हैं उस पर ये संदेश लिखा है कि जब तक तेल की खपत ना हो तब तक इसकी उपयोगिता मूल्यहीन है.



कोरोना ने बदल दिया है जीने का तरीका

चौथे पेज में लिखा है कि कोरोना वायरस ने सामान्य जिंदगी को बदल कर रख दिया है. पांचवा पेज पर लिखा है कि अब हम बेहतर जानते हैं कि चिड़ियाघर में बंद पिंजरे के अंदर पशु-पक्षी कैसा महसूस करते हैं. छठे पेज में लिखा है कि अब हम महसूस करते हैं कि आज के बच्चे बिना टीवी और इंटरनेट के खेलना नहीं जानते हैं. सातवें पेज में लिखा है कि प्रकृति की गोद में बचपन अठखेलियां करता है और प्रकृति ने ये विशेषाधिकार सिर्फ बच्चों को ही दिया है.


मूल्यवान है एक डॉक्टर का जीवन

आठवां पेज पर लिखा है कि जब हम तकलीफ में होते हैं, तो अपने धर्म और मजहब के हिसाब से अपने भगवान को याद करते हैं. कोई भी पंडित मौलाना या चर्च का पादरी किसी कोरोना मरीज की जान नहीं बचा पा रहे हैं. 9वें पेज पर लिखा है कि त्योहारों पर ज्यादा खर्च करने से बेहतर है कि हेल्थ सिस्टम पर खर्च किया जाए. ताकि कोरोना जैसी महामारी से बेहतर तरीके से निपट सकें.

दसवें पेज पर चिकित्सकों के महत्व को बताया है कि फुटबॉलर या खिलाड़ी से ज्यादा मूल्यवान एक डॉक्टर का जीवन होता है. 11वें पेज पर खूबसूरत संदेश स्वास्थ्य को लेकर के लिखा है. आखरी क्षण में जल्दबाजी दिखाने से बेहतर है, बचाव का उपाय पहले कर लिया जाय. 12वें पेज पर डॉक्टर अमरिंदर सिंह ने हेल्थ केयर वर्कर के तकलीफ को बताया है. उन्होंने इस पेज पर लिखा है कि सबकी जान बचाने वाला चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी अकेला और परित्यक्त रह जाता है. इसके बावजूद वो कभी हार नहीं मानता.


मानव जीवन के लिए हेल्थ बजट बढ़ाओ

13वें पेज में उन्होंने कई सारे संदेश का मिलाजुला रूप लिखा है. उन्होंने सबसे पहले कोरोना के खिलाफ एकजुट होकर इसे हराने की अपील की है. जाति, धर्म, संप्रदाय, राजनीति और धन दौलत हमें एक दूसरे से अलग करता है. बांट देता है. 14वें पेज पर पूरी दुनिया, विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र को कहा गया है कि अगर हम मानव जीवन को इस धरती पर लंबे समय तक देखना चाहते हैं तो हेल्थ बजट को बढ़ाया जाए.

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