नई दिल्ली: यूनिसेफ के मुताबिक हर महीने दुनिया भर में लगभग 1.8 बिलियन महिलाओं को मासिक धर्म होता है. अधिकांश महिलाओं के लिए मासिक धर्म जीवन का एक सामान्य और स्वस्थ्य हिस्सा है. यूनिसेफ का कहना है कि लगभग आधी महिला आबादी - वैश्विक आबादी का लगभग 26 प्रतिशत - रिप्रोडक्टिव ऐज ग्रुप की है. फिर भी, जैसा कि सामान्य है, दुनिया भर में मासिक धर्म को कलंकित किया जाता है. मासिक धर्म, कलंक, वर्जनाओं और मिथकों के बारे में जानकारी का अभाव किशोर लड़कियों और लड़कों को इसके बारे में जानने और एक स्वस्थ आदत विकसित करने से रोकता है. जिसके परिणामस्वरूप लाखों लड़कियां, महिलाएं, ट्रांसजेंडर पुरुष और गैर-बाइनरी व्यक्ति अपने मासिक धर्म चक्र को सम्मानजनक, स्वस्थ तरीके से कंट्रोल करने में असमर्थ है. चुप्पी और वर्जना को तोड़ने, जागरूकता बढ़ाने और मासिक धर्म के आसपास के नकारात्मक सामाजिक मानदंडों को बदलने के लिए, दुनिया भर में 28 मई को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है.
वहीं विश्व मासिक धर्म दिवस के अवसर पर एम्स (All India Institute of Medical Sciences) के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने एक वीडियो संदेश जारी किया है. ट्वीट करते हुए उन्होंने एम्स के RDA की पूरी टीम को इस अभियान को ज्यादा से ज्यादा महिलाओं और समाज में जागरूकता लाने के लिए डॉक्टर की तारीफ की है. इस विजन के साथ थीम का उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है, जहां 2030 तक एक ऐसी दुनिया बनाना संभव हो, जहां मासिक धर्म के कारण कोई महिला या लड़की पीछे न रहे. इसका अर्थ है एक ऐसी दुनिया जिसमें हर महिला और लड़की को अपने मासिक धर्म को सुरक्षित, स्वच्छता से, आत्मविश्वास के साथ और बिना शर्म के कंट्रोल करने का अधिकार है.