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डेढ़ साल की बेटी को एम्स में भर्ती कराने के लिए 24 घंटे तक भटकती रही एक मां - Medical Facility in Delhi

एम्स और सफदरजंग जैसे दो बड़े अस्पतालों के बीच 24 घंटे तक परेशान होने के बाद डेढ़ साल की बच्ची को आखिरकार एम्स ने भर्ती कर लिया है. इन दोनों ही अस्पताल में बच्चे को एडमिट करने से शुरू में यह कहकर मना कर दिया गया था कि उनके पास न तो डॉक्टर है और ना ही बेड खाली है.

AIIMS
एम्स

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Published : Jul 25, 2020, 10:41 PM IST

नई दिल्ली: एक मां 24 घंटे तक अपने डेढ़ साल की बेटी के सर में गंभीर चोट का इलाज के लिए एम्स और सफदरजंग अस्पताल के बीच भटकती रही. एम्स की तरफ से कहा गया कि उनके पास ना तो डॉक्टर है और ना ही बेड खाली है. यही बात सफदरजंग ने दोहराई. जब बच्ची के आंख में लगी चोट एक फोड़े का रूप ले लिया और वह फट गया तब एम्स अस्पताल के डाक्टरों ने मरहम पट्टी कर वापस फुटपाथ पर भेज दिया. डॉ. अमरिंदर तक जब ये बात पहुंचाई गई तो उनकी मदद से बच्ची को एम्स इमरजेंसी में भर्ती किया गया.

एम्स के बाहर 24 घंटे तक भटकती रही एक मां

बता दें कि बेहतर इलाज की उम्मीद में नोएडा से अवनीश देश की सबसे बड़े अस्पताल एम्स आये थे. उनकी डेढ़ साल की बेटी छत से गिर गई थी. उसके सिर में गंभीर चोट आई थी. पहले प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराया, लेकिन जब वहां उन्हें संतुष्टि नहीं मिली तो वहां से निकालकर बच्ची को एम्स में भर्ती कराने के लिए 23 जुलाई को सुबह 8 बजे एम्स पहुंच गए. लेकिन यहां भी उन्हें 24 घंटे तक बाहर भटकना पड़ा.

मीडिया की मिली मदद

बच्ची के पिता अवनीश खुद बताते हैं आखिर उन्हें क्या-क्या करना पड़ा. नोएडा से अपनी डेढ़ साल की बेटी के सिर में लगी गंभीर चोट का इलाज कराने के लिए एम्स पहुंचे थे. वहां पर सिटी स्कैन बाहर से कराने के लिए कहा गया. उसकी रिपोर्ट देखने के बाद तुरंत न्यूरो सर्जरी की बात कही गई, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास बेड अवेलेबल नहीं है. इसीलिए बच्ची का ऑपरेशन नहीं कर सकते हैं. वह सफदरजंग अस्पताल में चले जाएं.

सिर में लगी था गंभीर चोट

23 जुलाई की दोपहर 1 बजे तक बच्चे के आंख में चोट के प्रभाव से गुब्बारा जैसा निकल आया. उसमें बहुत सारा पस भरा हुआ था. जब यह फट गया तो उसकी ड्रेसिंग कर दी गई. एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और दूसरी सभी तरह की जांच करा दी गई. सारे रिपोर्ट नॉर्मल आए लेकिन सिटी स्कैन जो सिर का किया गया था, उसमें गंभीर चोट के निशान देखे गए और बताया गया कि अर्जेंट सर्जरी करना जरूरी है. 25 जुलाई की सुबह 10 बजे एम्स की तरफ से यह कहा गया कि हमारे पास उपलब्ध नहीं है. बच्ची को अर्जेंट सर्जरी करना जरूरी है, इसलिए उसे सफदरजंग अस्पताल में ले जांए.

घर के छत से गिर गई थी बच्ची

पिता अवनीश ने बताया कि डेढ़ साल की बच्ची घर के छत से खेलते हुए नीचे गिर गई. वह थोड़ी देर के लिए बच्ची को छोड़कर छत पर वाशरूम गए हुए थे. इसी बीच वह छत से नीचे आ गिरी. 23 जुलाई और 24 जुलाई के बीच 24 घंटे तक गंभीर रूप से घायल बच्ची को लेकर अवनीश लेकर भटकते रहे. जब एम्स ने सफदरजंग जाने को कहा तो वहां पर उनकी सारी रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि उनके पास बेड अवेलेबल नहीं है. इसलिए वह बच्ची को हॉस्पिटल में भर्ती नहीं कर सकते हैं. उसके बाद 4 घंटे तक सफदरजंग अस्पताल के बाहर ही बैठे रहे.

वीडियो बनाकर मांगी मदद

अवनीश ने बताया कि इसी बीच उनकी पत्नी ने एक वीडियो बनाकर एक पत्रकार को दिया. उसके थोड़ी देर बाद अस्पताल से एक एंबुलेंस आई और उनके बच्चे को वहां से ले गई. 24 जुलाई रात 10:30 बजे बच्ची को एम्स में दोबारा इमरजेंसी में भर्ती किया गया. फिलहाल बच्ची को एडमिट कर लिया गया है और स्पेशल बेड की व्यवस्था की गई है. लेकिन सवाल यही है कि अगर उन्हें मदद नहीं मिलती तो क्या एम्स अस्पताल बच्ची को अस्पताल में भर्ती करता जो पहले मना कर चुका था. ऐसे बहुत से मामले रोजाना आते हैं, लेकिन सबको इस तरह मदद नहीं मिल पाती है.

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