नई दिल्ली:इंडिया हैबिटेट सेंटर में गुरुवार को चौथा स्पाइन-20 वार्षिक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया. आयोजन एसोसिएशन ऑफ स्पाइन सर्जन्स ऑफ इंडिया (एएसएसआई) ने किया था. सम्मेलन में देश और दुनिया की स्पाइन सोसाइटीज ने हिस्सा लिया और रीढ़ की हड्डी की देखभाल के बारे में गंभीर मंथन किया. एएसएसआई के अध्यक्ष डॉ. सौम्यजीत बसु ने बताया कि स्पाइन केयर को लेकर भी लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. इसके लिए एसोसिएशन केंद्र सरकार को राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाने के लिए एक प्रस्ताव भेजेगा.
स्पाइन-20 वार्षिक शिखर के चौथे सम्मेलन का आयोजन भारत में हुआ. आयोजन में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से अनुभवी स्पाइन सर्जन्स, रिहेबिलिटेशन एक्सपर्ट्स, ग्राहक, प्रशासक और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी शामिल हुए. इन लोगों ने रीढ़ की हड्डी की देखभाल और उससे जुड़ी बीमारियों को ठीक करने के लिए नए समाधान तलाश करने के बारे में विचार साझा किए. इस वर्ष की थीम, 'एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य : रीढ़ की दिव्यांगता के बिना' रखी गई है. डॉक्टर बसु ने बताया कि स्पाइन-20' एक सलाहकार समूह है, जिसकी स्थापना यूरोस्पाइन, द जर्मन स्पाइन सोसाइटी, नॉर्थ अमेरिकन स्पाइन सोसाइटी और सऊदी स्पाइन सोसाइटी ने मिलकर की थी. इसके अलावा, इस समूह से दुनियाभर की 33 भागीदार सोसाइटीज भी जुड़ी हुई हैं.
कार्यक्रम में पूरे भारत से 18 स्पाइन प्रोफेशनल्स और कंज्यूमर सोसाइटीज ने हिस्सा लिया. दुनियाभर की 37 भागीदार सोसाइटीज ने इस कार्यक्रम में भाग लिया. अतिथियों और वक्ताओं में नीति आयोग के पूर्व सीईओ और जी-20 शेरपा अमिताभकांत, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव लव अग्रवाल और डब्ल्यूएचओ रिहेबिलिटेशन प्रोग्राम, 2030 के सलाहकार मिस एलेक्जेंडर राउच भी शामिल रहे.
स्पीकर-इलेक्ट स्पाइन-20 सैमी ने कहा कि भारत और अन्य विकासशील देशों में स्पाइन केयर पर ध्यान देने की बहुत जरूरत है. विशेष रूप से कमर के दर्द और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी अन्य परेशानियां ऐसे कारण हैं, जिनसे लोगों के स्वास्थ्य पर काफी असर होता है.