नई दिल्लीः मेडिकल इंस्टीट्यूट का मतलब एक ऐसे संस्थान से होता है, जहां मरीजों के इलाज के साथ ही मेडिकल के छात्रों की पढ़ाई भी होती हो. मरीजों के इलाज से संबंधित नए-नए शोध होते हों और नए मेडिकल साइंस के क्षेत्र में हो रहे विकास के मद्देनजर नए कोर्स चलाए जाते हों. लेकिन दिल्ली सरकार का इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज, यानी इहबास एक ऐसा इंस्टीट्यूट है जहां पिछले सात साल से न तो कोई एथिक्स कमेटी है, न ही एकेडेमिक कमेटी है और न ही यहां कोई डीन है.
नहीं हो रहे हैं कोई शोध
दिल्ली सरकार के मानसिक स्वास्थ्य के इंस्टीट्यूट इहबास के बारे में आपको जानकर हैरत होगा कि यहां पिछले सात साल से कोई एथिक्स कमेटी नहीं है, इसकी वजह से यहां शोध का काम नहीं हो रहा है. यहां फैकल्टी अपने विषय से संबंधित नए रिसर्च करना चाहते हैं, उसके लिए उन्हें फंड की मंजूरी भी मिल जाती है. लेकिन एथिक्स कमेटी जो यह तय करती है कि किन मानदंडों पर यह रिसर्च किया जाना चाहिए, उसके नहीं होने की वजह से वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. यही नहीं यहां कोई एकेडेमिक कमेटी भी नहीं है और न ही यहां कोई डीन है.
निदेशक के हैं अजीब तर्क