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इहबास में पिछले साल से न एथिक्स कमेटी है, न एकेडमिक कमेटी है और न ही डीन! - Dr. Nimesh Desai

दिल्ली सरकार का इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज (इहबास) एक ऐसा इंस्टीटयूट है, जहां पिछले सात साल से कोई एथिक्स कमेटी नहीं है. यहां तक कि एकेडेमिक कमेटी और डीन भी नहीं हैं.

no ethics committee in institute of human behavior and allied sciences
इहबास

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Published : Aug 24, 2020, 5:22 PM IST

नई दिल्लीः मेडिकल इंस्टीट्यूट का मतलब एक ऐसे संस्थान से होता है, जहां मरीजों के इलाज के साथ ही मेडिकल के छात्रों की पढ़ाई भी होती हो. मरीजों के इलाज से संबंधित नए-नए शोध होते हों और नए मेडिकल साइंस के क्षेत्र में हो रहे विकास के मद्देनजर नए कोर्स चलाए जाते हों. लेकिन दिल्ली सरकार का इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज, यानी इहबास एक ऐसा इंस्टीट्यूट है जहां पिछले सात साल से न तो कोई एथिक्स कमेटी है, न ही एकेडेमिक कमेटी है और न ही यहां कोई डीन है.

बिना डीन और बिना एथिक्स कमेटी के चल रहा इहबास!

नहीं हो रहे हैं कोई शोध

दिल्ली सरकार के मानसिक स्वास्थ्य के इंस्टीट्यूट इहबास के बारे में आपको जानकर हैरत होगा कि यहां पिछले सात साल से कोई एथिक्स कमेटी नहीं है, इसकी वजह से यहां शोध का काम नहीं हो रहा है. यहां फैकल्टी अपने विषय से संबंधित नए रिसर्च करना चाहते हैं, उसके लिए उन्हें फंड की मंजूरी भी मिल जाती है. लेकिन एथिक्स कमेटी जो यह तय करती है कि किन मानदंडों पर यह रिसर्च किया जाना चाहिए, उसके नहीं होने की वजह से वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. यही नहीं यहां कोई एकेडेमिक कमेटी भी नहीं है और न ही यहां कोई डीन है.

निदेशक के हैं अजीब तर्क

मजेदार बात ये है कि संस्थान के निदेशक डॉ. निमेश देसाई भी ये मानते हैं कि यहां साल 2013 के बाद से कोई एथिक्स कमेटी नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि इसकी वजह से यहां शोध के कार्यों में कोई रुकावट नहीं आ रही है.

उनका तो यहां तक कहना है कि संस्थान में ऐसा कोई फैकल्टी ही नहीं है, जिसका कोई रिसर्च प्रोजेक्ट एथिक्स कमेटी की वजह से रुका हो. बल्कि उनका मानना है कि जो फैकल्टी काम नहीं करते वे ही उन्हें और संस्थान को बदनाम करने के लिए ऐसे आरोप लगाते हैं. वहीं डीन के नहीं होने पर उनका कहना है कि संस्थान में डीन का कोई पद है ही नहीं और एक बार जो डीन बनाया गया था वो भी नियमों की अवहेलना करके बनाया गया था.

कमेटी नहीं होने की नहीं बता रहे वजह

अस्पताल के निदेशक दूसरों पर तो आरोप लगा रहे हैं लेकिन इस बात का जवाब नहीं दे रहे हैं कि आखिर सात साल से एथिक्स कमेटी क्यों नहीं है और नहीं है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी बनती है. बता दें कि ऐसी ही चूक की वजह से संस्थान हाल ही में एनएबीएच एक्रिडेशन गंवा चुका है.

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