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दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके में 200 परिवार की जान पर मंडरा रहा खतरा, कभी भी हो सकता बड़ा हादसा

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 8, 2023, 8:55 PM IST

Dangerous situation in Mangolpuri Punjabi Camp: दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके का पंजाबी कैंप दिल्ली की वो जगह है जिस पर पिछले चालीस सालों से ना किसी सरकार का ध्यान गया और ना प्रशासन सक्रिय नजर आता है. इस इलाके के ज्यादातर मकानों की स्थिति इतनी जर्जर है कि अक्सर यहां के लोग हादसों के शिकार होते रहते हैं. इलाके के लोगों का कहना है कि कई बार वो जिम्मेदारों के पास मामले की शिकायत कर चुके हैं, लेकिन उनका सुननेवाला कोई नहीं.

दो सौ से ज्यादा परिवार की जान पर मंडरा रहा खतरा
दो सौ से ज्यादा परिवार की जान पर मंडरा रहा खतरा

दो सौ से ज्यादा परिवार की जान पर मंडरा रहा खतरा

नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली को जहां हाईटेक बनाने के दावे किए जा रहे है वहीं हम आपको दिल्ली के ऐसे इलाके की तस्वीर दिखाने जा रहे हैं. जहां लोग प्रशासन की उदासीनता का दंश झेल नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. दरअसल, मंगोलपुरी में एक पंजाबी कैंप बसा है जहां की इमारत जर्जर हालत में है. यहां की दीवार और छत की हालत ऐसी है कि यहां अक्सर लोग हादसे के शिकार होते रहते हैं.

राजधानी की एक ऐसी तस्वीर जहां लोग ना केवल सुख सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं. बल्कि लोग अपनी जान दांव पर लगाकर रहने को मजबूर है. मंगोलपुरी इलाके में स्थित पंजाबी कैम्प के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. कैंप में बनी इमारतें जर्जर हालत में है. यहां की दीवारों की स्थिति साफ बयां कर रही है कि यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. घर की छत का हिस्सा कभी भी नीचे गिर सकता है.

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यहां रहने वाले लोग अक्सर इस खौफ में रहते हैं कि वह किसी हादसे का शिकार ना हो जाए. और कई लोग तो यहां हादसों का अक्सर शिकार होते रहते हैं. इस कैंप में रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. यहां बदहाली का आलम यह है कि अक्सर जर्जर इमारत की छत किसी पर गिर जाती है तो कभी दीवारें. लेंटर में निकला लोहा यहां के खस्ता हालत को बता रहा है. नौबत ऐसी है कि रात को सोते समय लोगों को यहीं डर सताता रहता है कि कही छत या इमारत इन पर गिर ना जाए और वो सोते के सोते न रह जाए.

इस बस्ती में 200 से ज्यादा परिवार रहता है.यहां रहने वाले खुद नहीं जानते कि कब उनके साथ कोई बड़ा हादसा हो जाए. मिली जानकारी के अनुसार यह कॉलोनी 1984 के बाद बसाई गई थी. उसके बाद से ही इस कॉलोनी की ओर कोई कोई भी जिम्मेदार झांकने तक नहीं आया. कैलेंडर की तारीख के साथ कई सरकार बदली लेकिन यहां की दुर्दशा जश की तश है.इलाके के लोगों को इंतजार है सरकार और प्रशासन के सहयोग का ताकि यहां के हालात सही हो सकें और यहां के लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर सके .
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