नई दिल्ली:पहले कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन और अब अनलॉक-4, दोनों ही दौर में आर्थिक मंदी से दुकानदार गुजर रहे हैं. इस आर्थित तंगी से सिर्फ छोटे व्यापरी ही नहीं बड़े-बड़े व्यापारियों की कमर भी टूट गई है. ईटीवी भारत दिल्ली के सुल्तानपुरी जलेबी चौक पहुंची. टीम ने वहां सामान बेच रहे दुकानदारों से बात की. इस खबर में जानिए आखिर कैसे मंदी के दौर में ये दुकानदार आर्थिक तंगी से ग्रस्त हैं.
दुकानदार संतोषी देवी ने बयान किया अपना दर्द सुनिए फल विक्रेता समरुद्दीन की आपबीती
सुल्तानपुरी जलेबी चौक के पास रोड के किनारे 20 साल से दुकान लगा रहे समरुद्दीन आज लॉकडाउन के कारण आर्थिक तंगी की मार झेल रहे है. उनका कहना है कि कोई भी ग्राहक दुकान पर फल लेने नहीं आता इक्का-दुक्का आता भी है, तो रेट सुनकर वापस चले जाते हैं. फलों की मंडियों में महंगाई होने की वजह से दुकानदारी ठप हो चुकी है. समरुद्दीन ने कहा कि 20 सालों से ऐसा दौर कभी नहीं देखा. घर में 2 बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो गया है. साथ ही ग्राहकों की कमी के कारण उन्हें रोजाना 10-20 किलो फलों को फेंकना पड़ता है.
आर्थिक तंगी से जूझ रहे फल विक्रेता की सुनिए आपबीती सुनिए दुकानदार संतोष देवी की आपबीती
पहले जहां संतोष देवी सुल्तानपुरी जलेबी चौक के पास रोड के किनारे झाड़ू का व्यापार करती थी. अब उन्होने बच्चों के खिलौने बेचना शुरू किया. आर्थिक तंगी अभी भी कम नहीं हुई. दुकानदारी ना चलने से संतोषी हताश नजर आई. उनका कहना है कि महंगाई होने की वजह से लोग बच्चों के खिलौने भी नहीं खरीद रहे हैं. वहीं सड़क किनारे दुकान लगाने के लिए एमसीडी और पुलिस को भी पैसा देने होते है. अगर पैसा ना दो तो दुकान नहीं लगाने देते है. पहले से ही मंदी की मार झेल रहे बंजारे झाड़ू के कारोबार से परिवार का खर्चा नहीं चला पा रहे थे, तो मजबूरन बच्चों का आइटम बेचना पड़ रहा हैं.
सरकार के जरिए अब धीरे-धीरे सभी चीजों को खोला जा रहा है. इसी के साथ अब दिल्ली में मेट्रो का परिचालन शुरू होने से व्यापारियों की उम्मीद जगी है. मेट्रो के शुरू होने से अब ग्राहक ज्यादा से ज्यादा बाजारों में पहुंचेंगे और संतोषी देवी और समरुद्दीन जैसे व्यापारियों के चेहरे पर दोबारा खुशियां लौटने की उम्मीद होगी.