नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में मुगलकाल से रामलीलाएं होती रही हैं. कहा जाता है कि उस समय के बादशाह भी रामलीलाओं को आयोजित करने वाली कमेटियों को प्रोत्साहित करते थे. इतना ही नहीं रामलीला को देखने के लिए बादशाह की सवारी भी पुरानी दिल्ली में निकला करती थी. इसके बाद अंग्रेजों का समय आया. अंग्रेजों ने भी भारतीय संस्कृति में रची-बसी रामलीला को आगे बढ़ाने में योगदान दिया. वे भी प्रभु श्रीराम के आदर्शों और उनकी लीलाओं से प्रभावित रहे. अंग्रेजी हुकूमत ने भी दिल्ली में होने वाली रामलीला कमेटियों को कई तरह की छूट दी थी. आज भी अजमेरी गेट स्थित रामलीला मैदान में होने वाली लीला को मुफ्त में बिजली, पानी की सुविधा सरकार देती है.
अब बात करते हैं दिल्ली में ऐसी रामलीला कमेटी की, जिसे 100 साल पूरे हो गए हैं. अंग्रेजों के समय से श्री धार्मिक लीला कमेटी लंबे समय से लालकिले के सामने माधवदास पार्क में रामलीला की मंचन करती आ रही है. शुरुआती समय में गली-कूचों में आयोजित होने वाली रामलीला का स्वरूप अब विशाल हो गया है. अब बड़े-बड़े सेट और एलइडी स्क्रीन पर रामलीला हो रही है.
श्री धार्मिक लीला कमेटी के मंत्री प्रदीप शरण ने ‘ETV भारत’ को बताया कि 100 वर्षों का सफर काफी सुहाना रहा है. 1923 में हमारे पूर्वजों ने लाला बंशीधर के पूर्वज परमेश्वरी दास ने मिलकर कमेटी का गठन किया था. शुरुआती दिनों में चांदनी चौक की गली कूचों में तखत लगाकर रामलीला का आयोजन शुरू किया था. उस समय महिला कलाकार नहीं होती थी. सारे आर्टिस्ट पुरुष होते थे. पुरुष कलाकार ही सीता, कैकयी का अभिनय करते थे.
कहां-कहां हो चुकी है ये रामलीलाःप्रदीप शरण के मुताबिक, धीरे-धीरे ये रामलीला सफर तय कर लाजपत राय मार्केट के पीछे खुले मैदान में शिफ्ट हुई. उसके बाद 1948-49 में रामलीला गांधी ग्राउंड में आ गई. वहां लंबे समय तक रामलीला होती रही. फिर वहां से दो भागों में रामलीला बंट गई. एक भाग हम लेकर परेड मैदान में ले गए. गांधी ग्राउंड में 1956 तक रामलीला हुई.
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक ले चुके हैं हिस्साःप्रदीप शरण ने बताया कि हमारी रामलीला में हमेशा देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री आते रहे हैं. उस जमाने में सुरक्षा के भी इतने तामझाम की जरूरत नहीं थी. सब घुल मिलकर रामलीला का आनंद लेते थे. अब वक्त काफी बदल गया है. सुरक्षा का खास ख्याल रखना होता है. हमारे बीच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आए हैं. उन्होंने आकर रामलीला के आयोजन में हिस्सा लिया. राष्ट्रपति रहते हुए प्रतिभा पाटिल, रामनाथ कोविंद भी रामलीला में आ चुके हैं.