नई दिल्ली:कोरोना महामारी के दो साल के लंबे इंतजार के बाद डीयू के कॉलेज सुचारू रूप से खुल चुके हैं. नए सत्र में छात्रों का एडमिशन होने के बाद क्लासेस भी शुरू हो गई है. दिल्ली के बाहरी राज्यों से पढ़ने आने वाले छात्र डीयू के हॉस्टल में रुकते हैं या फिर उन्हें बाहर पीजी किराए पर लेना पड़ता है. दिल्ली में पीजी का भारी-भरकम किराया भी उनकी जेब पर असर डाल रहा है.
पीजी संचालकों ने बताया कि छात्रों के परिजन कम पैसों में बेहतर सुविधाओं वाला पीजी तलाशते हैं. संचालकों का कहना है कि दिल्ली में अच्छे से अच्छे पीजी हैं, जो छात्रों को बेहतर सुविधा दे रहे हैं लेकिन उनका किराया महंगा है. नॉर्थ कैंपस इलाके में पीजी संचालकों का कहना है कि वे पिछले कई सालों से पीजी चला रहे हैं. इस तरह के हालात की उम्मीद नहीं थी कि बना बनाया काम उजड़ जाएगा और किराया जेब से देना पड़ेगा. बीते दो सालों में कोरोना के दौरान सभी पीजी खाली हो गए, कॉलेजों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई.
छात्र पीजी छोड़कर अपने घर चले गए, मुश्किल हालातों में मालिकों को किराया देना पड़ा. दिल्ली में ज्यादातर लोग बिल्डिंग किराए पर लेकर पीजी चला रहे हैं, तो वहीं कुछ मकान मालिक अपने स्तर पर पीजी चलते हैं. सभी का प्रति बेड किराया होता है. कमरे में सिंगल या डबल लोग रह सकते हैं. मुश्किल हालातों के बाद अब दोबारा से काम लौटने लगा है, लेकिन नहीं लगता कि गाड़ी जल्द पटरी पर लौट आएगी.
पीजी संचालक संकुल शर्मा ने बताया कि वह पहले 300 से ज्यादा पीजी चला रहे थे, कई बिल्डिंगों में उनके पीजी थे. लेकिन कोरोना महामारी के दौरान एकदम से हालात बदल गए. अब काम सिकुड़ गया है, जेब से किराया देना मुनासिब नहीं था तो मुश्किल हालातों में ज्यादातर पीजी को छोड़ने पड़े. अब 100 के करीब पीजी चला रहे हैं, लेकिन उसमें भी छात्र बेहतर सुविधाओं के साथ कम किराए की मांग करते हैं. जिस तरह के हालात अभी चल रहे हैं उससे नहीं लगता कि काम जल्दी उठेगा.
ज्यादातर पीजी संचालक किराए की बिल्डिंग में काम कर रहे हैं, तो कई मकान मालिक अपने ही मकानों में पीजी चला रहे हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय में बाहरी राज्यों से बड़ी संख्या में छात्र पढ़ने के लिए आते हैं. सभी को हॉस्टल नहीं मिल पाता और ज्यादातर छात्र निजी पीजी में ही रुकते हैं.