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भूखे मरने की कगार पर गोवंश, DMC ने श्री कृष्ण गौशाला बवाना को नहीं दी बकाया राशि - उत्तरी दिल्ली नगर निगम खबर

बवाना में दिल्ली की सबसे बड़ी गौशाला है. इस श्री कृष्ण गौशाला में गोवंश भूखे मरने की कगार पर आने वाले हैं. नॉर्थ MCD की तरफ से गौशाला को दी जाने वाली राशि में से पिछले तीन वर्षों के करीब 18 करोड़ रुपए बकाया हैं.

Krishna Gaushala Bawana
श्री कृष्ण गौशाला बवाना

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Published : Sep 30, 2020, 5:36 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली के बवाना स्थित श्री कृष्ण गौशाला में करीब 9000 गोवंश की दयनीय स्थिति है. गौशाला प्रबंधकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल गौशाला के लिए नॉर्थ MCD की तरफ से चारे ओर रखरखाव के लिए मिलने वाली सरकारी अनुदान राशि के 18 करोड़ रुपये अभी बकाया हैं. मजबूरन गौशाला प्रबंधन ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

श्री कृष्ण गौशाला बवाना में गोवंश भूखे मरने की कगार पर

बवाना स्थित दिल्ली की सबसे बड़ी श्री कृष्ण गौशाला में गोवंश भूखे मरने की कगार पर आने वाले हैं. गौशाला प्रबंधन कमेटी से जुड़े सदस्यों की मानें तो नॉर्थ MCD की तरफ से पिछले तीन वर्षों का करीब 18 करोड़ रुपए बकाया हैं. बकाया वसूल करने के लिए गौशाला प्रबंधक निगम अधिकारियों, नेताओं और बीजेपी पदाधिकारियों के चक्कर काट-काटकर थक चुके हैं.

श्री कृष्ण गौशाला के कोषाध्यक्ष आनंद जालान का कहना है कि-

पिछले करीब तीन वर्षों से गौशाला को मिलने वाला अनुदान निगम की तरफ से नहीं किया गया है. जिसके कारण गौशाला धीरे-धीरे कर्ज में डूबती जा रही है, लेकिन नगर निगम इस ओर जरा सा भी ध्यान नहीं दे रहा है. उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर के आश्वासन के बावजूद भी उन्हें अभी तक कोई राहत नहीं मिली है.

इस संबंध में श्री कृष्ण गौशाला कोषाध्यक्ष आनंद जालान का कहना है कि वो इस मुद्दे को लेकर अब हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं. इस मुद्दे पर उन्होंने एक रीट लगाई है, जिसमें कोर्ट ने भी नगर निगम को फटकार लगाते हुए उनसे जवाब मांगा है. गौशाला प्रबंधन का कहना है कि अगर उन्हें जल्द भुगतान नहीं हुआ तो वो भूखी गायों को सड़क पर छोड़ने के लिए मजबूर हो जाएंगे.

बवाना में दिल्ली की सबसे बड़ी गौशाला है

बता दें कि नॉर्थ MCD श्री कृष्ण गौशाला को बीस रुपये प्रति गाय प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करता है. इस गौशाला में तकरीबन 9000 गोवंश की देखभाल की जाती है. इस गौशाला में दूर-दराज से भी प्रशासन और आमजन गौवंश छोड़कर जाते हैं.

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