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सड़क-पानी-मेट्रो को तरस रहा नरेला, MLA-MP से खफा लोग

नरेला के कई गांव सालों से बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड पर पहुंचकर स्पेशल रिपोर्ट तैयार की है.

सड़क-पानी-मेट्रो को तरस रहा नरेला, MLA-MP से ख़फा लोग

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Published : May 11, 2019, 5:43 PM IST

Updated : May 11, 2019, 9:06 PM IST

नई दिल्ली: नरेला के कई गांव पिछले कई सालों से बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. इस गांव में पानी की समस्या लम्बे समय से बनी हुई है, जबकि सरकारी अस्पताल में लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पाती. ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड पर पहुंचकर स्पेशल रिपोर्ट तैयार की है.

इस इलाके के ग्रामीणों से बात करने पर मालूम चलता है कि 2014-2019 के बीच 5 साल बीत चुके हैं, लेकिन ना तो सांसद उदित राज ने लोगों की समस्याएं सुनीं और न ही विधायक शरद चौहान ने .

नरेला में स्थानीय लोगों से खास बातचीत

पानी की निकासी की समस्या जस की तस बनी हुई है. वहीं कुछ लोगों ने बताया कि राजा हरिश्चंद्र नाम से एक सरकारी अस्पताल है, वहां पर भी इलाज नहीं मिलता.

उत्तर पश्चिमी सीट के अंतर्गत पड़ने वाला नरेला विकास के मामले में काफी पीछे नजर आता है. वजहें कई हैं, लेकिन बड़ा कारण जो जनता ने बताया वो ये है कि यहां नेताओं की विकास करने की नीयत नहीं है .

नॉर्थ वेस्ट सीट पर कड़ा मुकाबला
इस सीट पर पिछली बार की तरह त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. भारतीय जनता पार्टी की सीधी टक्कर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से होगी. पिछली बार सिर्फ एक लाख वोटों के अंतर से उदित राज ने यहां जीत दर्ज की थी.

नॉर्थ वेस्ट दिल्ली की बात की जाए तो इस क्षेत्र के ज्यादातर वोट ग्रामीण इलाकों में बसते हैं, जबकि सबसे ज्यादा वोट भी इसी क्षेत्र से आते हैं.

  • गांव की सबसे बड़ी समस्या सड़कों की है
  • सड़कें टूटी हुई हैं, जो हैं भी उनमें गड्ढे हैं
  • पानी के निकास की समस्या एक बड़ी समस्या है
  • नालियों की मेंटेनेंस सरकार और एमसीडी नहीं करवा पा रहे
  • मच्छरों की समस्या भी गंभीर है
  • सरकारी हॉस्पिटल राजा हरिश्चंद्र में इलाज नहीं मिल पाता
  • 200 बेड के अस्पताल में इलाज सही तरीके से नहीं हो पाता
  • जब भी किसी मरीज को यहां लेकर जाया जाता है तो उसे दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है
  • एमआरआई, इको और दूसरे अन्य टेस्ट की सुविधा भी नहीं मिलती
  • इस गांव की सबसे बड़ी समस्या है मेट्रो की कनेक्टिविटी ना होना

गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि फेस-4 में नरेला गांव में मेट्रो का आना लगभग पक्का था, लेकिन दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों ने अपने हाथ खींच लिए. ग्रामीणों का कहना है कि अगर मेट्रो नहीं आई तो ना कांग्रेस आएगी, ना बीजेपी और ना ही आम आदमी पार्टी.

इस गांव की मेन सड़कें गांव को राजधानी दिल्ली से जोड़ती हैं. उन सड़कों की हालत वाकई में बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है. नरेला इलाके के भीतर कोई भी बड़ा बेहतर स्कूल या कॉलेज नहीं है. बच्चों को पढ़ाई के लिए राजधानी दिल्ली जाना पड़ता है, जिसके लिए उन्हें काफी समय लगता है. ग्रामीण कहते हैं कि अगर मेट्रो यहां आ जाती है, तो बच्चों का समय भी बचेगा और आसानी भी होगी.

'दिल्ली में होते हुए दिल्ली के नहीं'
नरेला गांव के ग्रामीण कहते हैं कि हम दिल्ली में होते हुए भी दिल्ली से खुद को कटा हुआ महसूस करते हैं, क्योंकि नरेला को अलग-थलग कर दिया गया है.

'पीने के लिए पानी की सुविधा नहीं'
ग्रामीणों के मुताबिक यहां पीने के लिए पानी नहीं आता और जो आता भी है, वो बेहद गंदा है. मजबूरन पानी खरीद कर पीना पड़ता है.

ना सांसद आते हैं, ना विधायक
ग्रामीणों ने ये भी बताया कि गांव में ना तो विधायक आते हैं, और ना ही सांसद. अगर कोई आता भी है तो सिर्फ फीता काटने, लेकिन किसी के पास भी हमारे लिए 5 मिनट का समय नहीं है.

Last Updated : May 11, 2019, 9:06 PM IST

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