नई दिल्ली: दिल्ली के नरेला इलाके में साल 1976 में देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत बसाई गई झटपट कॉलोनी के लोग करीब साढे चार दशक बाद भी बिजली - पानी की मूलभूत सुविधाओं के ना मिलने की वजह से परेशान हैं.
झटपट कॉलोनी की बदहाल हालत झटपट कॉलोनी के लोग अपनी समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री तक जा चुके हैं लेकिन आज तक उनकी समस्या का समाधान किसी ने नहीं किया.
स्थानीय लोगों को होती है परेशानी
यहां के लोग बिजली-पानी की समस्या की समस्या से परेशान हैं. लोगों को पीने के पानी के लिए करीब 3 से 4 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. कॉलोनी में घरों से गंदे पानी की निकासी के लिए नालियां नहीं है और अपने घरों तक आने-जाने के लिए कोई गली नहीं है.
बिना बिजली पानी के रहते हैं लोग
लोगों को कच्चे रास्तों से ही होकर घरों में जाना पड़ता है. घरों में लाइट न होने की वजह से मोमबत्ती या लालटेन जलाकर रखते हैं ताकि किसी तरह से गुजारा हो सके. कॉलोनी के लोगों ने आरोप लगाया कि यहां पर सरकारी अधिकारी और नेता चुनाव के दौरान सिर्फ दौरा करने के लिए आते हैं और जनता को आश्वासन देकर चले जाते हैं. करीब साढे चार दशक बाद भी कॉलोनी के विकास का कोई काम नहीं हुआ.
जल्द समाधान होने की बात कही
मामले में आम आदमी पार्टी के नरेला से विधायक शरद चौहान से बात करने की कोशिश की तो उनके प्रतिनिधि नरेला संगठन मंत्री नागेंद्र प्रजापति ने बताया कि कुछ तकनीकी खामियों की वजह से कॉलोनी के विकास कार्यों में रुकावट आई है. लोगों ने जो एप्लीकेशन विधायक को दी थी उसमें कॉलोनी का नाम भोरगढ़ लिखा हुआ था. लेकिन वास्तव में इस कॉलोनी का नाम भोरगढ़ झटपट कॉलोनी (इंदिरा बसती) है.