नई दिल्ली: वन विभाग राजधानी की वायु गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार है और उसे क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में सुधार के लिए उपाय करना चाहिए. यह निर्देश बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने जारी किया है. न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने दिल्ली में वैकल्पिक वन स्थापित करने और विभाग के भीतर रिक्तियों को भरने से संबंधित मामलों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण बच्चे अस्थमा से पीड़ित हो रहे हैं. अदालत ने चिंता व्यक्त की कि सरकारी अधिकारियों की नाक के नीचे राष्ट्रीय राजधानी के फेफड़े माने जाने वाले क्षेत्र में अतिक्रमण हो रहा है. हर तीसरे बच्चे को सांस लेने में समस्या हो रही है.
अदालत ने वन विभाग के प्रमुख सचिव को रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है. कहा है कि हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसकी गुणवत्ता के लिए आप जिम्मेदार हैं. यह सुनिश्चित करना आपका दायित्व है कि एक्यूआई में कमी आए. अदालत ने कहा कि प्रत्येक बच्चे को सांस लेने में समस्या हो रही है. दिसंबर-जनवरी में लोगों को बाहर यात्रा करनी पड़ती है, जब यह यहां रहने का सबसे अच्छा समय होता है.
स्वच्छ हवा लोगों का मौलिक अधिकारः अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली वालों को सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा का मौलिक अधिकार है और हरियाली इसे हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. शहर के कई क्षेत्र जैसे नेहरू नगर (402), सोनिया विहार (412), रोहिणी (403), वजीरपुर (422), बवाना (403), मुंडका (407), आनंद विहार (422), और न्यू मोती बाग ( 435) में हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट देखी गई, जो गंभीर श्रेणी में पहुंच गई.