नई दिल्ली: दिल्ली की नरेला अनाज मंडी में ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल का असर दिखाई दिया है. देश के दूसरे हिस्सों में हड़ताल का कोई खास असर नजर नहीं आ रहा है, लेकिन नरेला अनाज मंडी और दिल्ली के नजफगढ़ मंडी में हड़ताल का असर जरूर दिखाई दे रहा है, क्योंकि यहां के ट्रांसपोर्टर हड़ताल में शामिल हो गए हैं. इन लोगों ने हड़ताल कर रहे ट्रांसपोर्टरों को आश्वासन और समर्थन दे दिया है.
नरेला अनाज मंडी में ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल का असर हजारों टन अनाज का खुले में लगा ढेर
नरेला अनाज मंडी में पिछले 2 दिनों से लाखों की संख्या में बोरिया पड़ी हुई हैं. हड़ताल के कारण अनाज को ट्रांसपोर्ट भी नहीं किया जा रहा है. जिसकी वजह से नरेला अनाज मंडी में करीब 2 लाख बोरियां इकट्ठी हो गई. पूरी मंडी में चारों ओर अनाज की भरी हुई बोरिया ही दिखाई दे रही हैं. लेकिन ये बोरिया यहां से बाहर नहीं जा पा रही हैं और मंडी में लगातार फसल बेचने के लिए किसान आ रहे हैं.
बारिश होने से हो सकता है लाखों का नुकसान
अब यदि किसान बाहर के राज्यों से या दूसरी जगह से मंडी में फसल बेचने के लिए आते हैं, तो यहां सामान रखने की भी जगह नहीं है. वजह है हड़ताल के कारण ट्रांसपोर्टर अपने ट्रकों में बोरियों को नहीं भर रहे हैं. जिससे व्यापारी खासे चिंतित हैं और व्यापारियों को बड़ा नुकसान हो रहा है. व्यापारियों का कहना है कि पूरा अनाज खुले में पड़ा हुआ है. बारिश का मौसम है ऐसे में अगर बारिश आई और थोड़ा सा भी अनाज भीग गया तो दाम कम हो जाएंगे और इन व्यापारियों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ेगा.
सरकार से नाराज है ट्रांसपोर्टर
हड़ताल पूरे देश के मंडियों में हो रही है, लेकिन हड़ताल होने से उनके बिजनेस पर बुरा असर पड़ रहा है. ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि उनकी भी मजबूरी है कि वो हड़ताल में शामिल हो, लेकिन वो इस हड़ताल से खुश नहीं है. हड़ताल के दौरान ट्रांसपोर्टर अपने ट्रक ड्राइवरों को सैलरी दे रहे हैं.
ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि जिस तरह से उन्होंने सरकार को वोट देकर जिताया था और सरकार ही अब व्यापारियों के खिलाफ नए-नए कानून बनाकर इन्हें हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर कर रही हैं. इससे ट्रांसपोर्टर खासे नाराज हैं और अगले चुनाव में सरकार से बदला लेने तक की धमकी दे रहे हैं.