नई दिल्ली: मुंडका अग्निकांड मामले में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने बिल्डिंग से कूद कर अपनी जान बचाई और उनका इलाज संजय गांधी अस्पताल में किया जा रहा था, जिसमें से कुछ लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई. ऐसी ही एक युवती हैं दीक्षा रावत, जो हादसे के वक्त अंदर काम कर रही थीं.
दीक्षा ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि हादसे के वक्त मीटिंग चल रही थी जैसे ही आग लगी किसी को निकलने का मौका नहीं मिला, क्योंकि आग सबसे पहले नीचे के फ्लोर पर लगी थी जो कि बिल्डिंग से निकलने का एक मात्र रास्ता था, जहां आग लगी हुई थी जिसकी वजह से कोई भी बाहर नहीं निकल सका. उस पर तुर्रा यह कि कंपनी के सिक्योरिटी गार्ड ने भी गेट पर ताला लगा दिया और वहां से भाग गया. जब अंदर धुआं भरने लग गया तब कुछ लोगों ने खिड़कियों के शीशे तोड़कर तीसरी फ्लोर से रस्सी लटका कर उसी के सहारे नीचे उतरने लगे. दीक्षा ने बताया कि हादसे के समय आस-पास के लोगों ने भी मदद की और उनकी मदद से लोगों का रेस्क्यू किया गया.