नई दिल्ली:डीडीए द्वारा दिल्ली में नियोजित तरीके से 2041 के मास्टर प्लान के तहत कॉलोनी बसाने की योजना कागजों में तैयार की जा रही है, लेकिन धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा है. जिसको लेकर दिल्ली मास्टर प्लान कमेटी (DDVM) के अध्यक्ष भूपेंद्र बजाड़ का कहना है कि सरकार और किसानों के बीच अभी किसी प्रकार का सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है. जिसको लेकर यह कहा जाए कि किसान और सरकार 2041 के मास्टर प्लान को लेकर अभी किसी नतीजे पर पहुंचे हैं. एक तरफ तो सरकार मास्टर प्लान बना रही है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली में प्राइवेट बिल्डरों द्वारा कॉलोनियां काटी जा रही हैं. जब दिल्ली में जमीन ही नहीं बचेगी तो 2041 का मास्टर प्लान क्या काम करेगा ?
ईटीवी से बात करते हुए दिल्ली मास्टर प्लान कमेटी (DDVM) के अध्यक्ष भूपेंद्र बजाड़ ने बताया कि सरकार पिछले कई सालों से 2041 के मास्टर प्लान को लेकर कागजों में तो काम कर रही है लेकिन वह काम असल मायने में धरातल पर होता दिखाई नहीं दे रहा है. एक तरफ तो लैंड पूलिंग योजना को लेकर किसानों ने अपनी 70% से ज्यादा जमीनों का रजिस्ट्रेशन करा दिया है, जिसकी मांग सरकार द्वारा किसानों से की गई थी.
किसानों से जमीन खरीदकर बसाई जा रहीं कॉलोनी सरकार की मांग के अनुरूप रजिस्ट्रेशन उम्मीद से ज्यादा किसानों ने कराया, लेकिन उसके बावजूद योजना अभी भी अधर में लटकी हुई है. वहीं दिल्ली को नियोजित तरीके से बसाने के लिए सरकार ने 2041 मास्टर प्लान का खाका तैयार किया और उसकी तैयारी को लेकर सरकार काम कर रही है. लेकिन धरातल पर निजी बिल्डर अपने फायदे के लिए किसानों से जमीन खरीद कर उस पर कॉलोनई बसा रहे हैं. जब दिल्ली में जमीन ही नहीं बचेगी तो सरकार का मास्टर प्लान क्या काम करेगा ? यदि सरकार ने मास्टर प्लान तैयार कर भी लिया तो कॉलोनियों में प्लॉट खरीदने वाले लोगों को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा और पैसा सीधे किसान को जाएगा.
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दिल्ली मास्टर प्लान कमेटी (DDVM) के अध्यक्ष ने बताया कि सरकार ने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से अपनी रायशुमारी की है ओर उन्हें भी कमेटी में जोड़ा है, लेकिन ग्रामीणों को उस कमेटी के अंदर नहीं रखा गया जिसके लिए काम किया जा रहा है. असल तो इलाके के लोग ही बता पाएंगे जो उस क्षेत्र के मूल निवासी हैं. सरकार को ध्यान देना चाहिए कि अपनी कमेटी में इलाके के मौजीज ग्रामीणों को भी शामिल किया जाए जो इलाके की जानकारी रखते हों और वहां की जरूरतों के बारे में सरकार को अवगत कराएं. जिससे सरकार इलाके की जरूरतों के अनुरूप 2041 का मास्टर प्लान तैयार करें.
यह भी बताया कि अभी मास्टर प्लान में कई खामियां हैं जिसको लेकर किसानों से या इलाके के लोगों से रायशुमारी के लिये एक समय निर्धारित किया गया था और 23 अगस्त को यह समय पूरा हो रहा है. उसके बाद उम्मीद है कि तय समय में रायशुमारी पूरी नहीं हो सकी तो सरकार आगे और समय बढ़ा सकती है, लेकिन सरकार को अपनी नीति बनाते समय ग्रामीणों से भी राय लेनी चाहिए और अधिकारियों का दौरा भी इलाके में करवाना चाहिए. ताकि अधिकारी भी खुद मौके पर जाकर लोगों की समस्याओं को सुनें और सरकार को उससे अवगत कराएं.
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दिल्ली देहात के इलाकों में जिस तरह किसानों को मोटी रकम देकर बिल्डर जमीन खरीदकर कॉलोनी बसा रहे हैं. उससे नहीं लगता कि 2041 का मास्टर प्लान पूरा होने तक दिल्ली में जमीन बचेगी. यदि दिल्ली में निजी बिल्डरों को ही अनियोजित तरीके से जमीन पर कॉलोनी बसाकर काम करना है तो सरकार 2041 का मास्टर प्लान पर क्यों काम कर रही है ?
एक तरफ तो सरकार दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने की बात कर रही है. वहीं निजी बिल्डर जमीन काटकर दिल्ली को अव्यवस्थित करने की कोशिश कर रहे हैं. जल्द से जल्द सरकार को अपने मास्टर प्लान के अनुरूप लोगों से जमीन का अधिग्रहण कर उस पर काम करना चाहिए ताकि दिल्ली की छवि भीड़ भाड़ वाली दिल्ली से सुधरकर एक सुनियोजित तरीके से बसी हुए दिल्ली की बन सके. यदि ऐसा नहीं होता है तो उसके लिए खुद सरकार जिम्मेदार होगी.