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सिंघु बॉर्डर पर रक्तदान लगा शिविर, किसानों ने कहा कि सोई सरकार को लिखेंगे चिट्ठी - सिंधु बॉर्डर से किसान आंदोलन की ताजा खबर

दिल्ली में सोमवार को सिंघु बॉर्डर पर लुधियाना के ब्लड बैंक द्वारा किसानों के बीच ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया. इस आयोजन में बुजुर्ग और युवा सभी किसान हिस्सा ले रहे हैं. सिंघु बॉर्डर पर मंगलवार को किसान आंदोलन का 26 वां दिन है. लगातार किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के सिंघु बॉर्डर सहित तमाम बॉर्डर पर डटे हुए हैं.

Blood donation camp was done at Singhu border, farmers will write a letter to the government
रक्तदान शिविर

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Published : Dec 21, 2020, 6:04 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में आज सिंघु बॉर्डर पर लुधियाना के ब्लड बैंक द्वारा किसानों के बीच ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया. इस आयोजन में बुजुर्ग और युवा सभी किसान बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. सभी अपन किसान भाइयों का साथ देने के लिए ब्लड डोनेट कर रहे हैं. ब्लड डोनेट कर रहे लोगों का कहना है कि इस खून से केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखेंगे तभी नया कृषि कानून रद्द होगा.

सिंघु बॉर्डर पर लगा रक्तदान शिविर.

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ईटीवी भारत की टीम ने ब्लड डोनेशन कैंप में ब्लड डोनेट कर रहे लोगों से बात की. उनका कहना है कि वह किसानों के लिए ब्लड डोनेट कर रहे हैं और किसानों के खून से प्रधानमंत्री को कृषि कानून रद्द करने के लिए चिट्ठी लिखी जाएगी, तभी जाकर सरकार मानेगी. सिंघु बॉर्डर पर आज किसान आंदोलन का 26 वां दिन है. लगातार किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के सिंघु बॉर्डर सहित तमाम बॉर्डर पर डटे हुए हैं. किसान सरकार से नए कृषि कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.



60 यूनिट ब्लड इकट्ठा हुआ

लुधियाना के अस्पताल द्वारा दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया. दोपहर तक युवा और बुजुर्गों ने करीब 60 यूनिट ब्लड दिया. आंदोलन चलने के साथ-साथ यह ब्लड डोनेशन कैंप भी यूं ही चलता रहेगा और किसान भी इस ब्लड डोनेशन कैंप में अपना ब्लड डोनेट कर अपनी सहभागिता निभाते रहेंगे. ब्लड यूनिट इकट्ठा कर रहे डॉक्टर गुरदीप सिंह का कहना है कि अभी 50 से 60 यूनिट ब्लड इकट्ठा हुआ है और शाम तक कहीं ज्यादा क्लेक्शन होने की उम्मीद है.



एक और जहां किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने डटे हुए हैं तो वहीं ब्लड डोनेट कर रहे कुछ लोगों का कहना है कि इस खून से प्रधानमंत्री को कृषि कानून रद्द करने के लिए चिट्ठी लिखी जाएगी. कई दौर की बातचीत होने के बावजूद भी अभी तक सरकार और किसानों के बीच कोई समाधान नहीं निकला है.

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