नई दिल्ली:दिल्ली के सबसे बड़े छठ घाटों में से एक भलस्वा झील छठ घाट की हालत बहुत ही बदहाल है. छठ घाट पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है, फिर भी लोगों ने छठ पर्व को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी है. भलस्वा झील के आसपास सैकड़ों कॉलोनियों में पूर्वांचल समाज के लोग रहते हैं, जिन्होंने झील पर आकर अपने घाटों को चिन्हित करना शुरू कर दिया है और सफाई कर छोटे-छोटे मंदिर भी बनाए हैं, ताकि दूसरे लोगों को संकेत मिल सके कि यह घाट अब बुक हो चुका है.
दिल्ली सरकार की ओर से भलस्वा झील पर करीब दो दशक से छठ महापर्व का सार्वजनिक आयोजन कराया जा रहा है. इस महोत्सव में दिल्ली के मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक और स्थानीय नेताओं के अलावा कलाकार की भाग लेते हैं और सारी रात यहां पर कार्यक्रम चलता है. बीते साल कोविड-19 के चलते सार्वजनिक तौर पर कार्यक्रम पर रोक लगा दी गई. लेकिन अब सार्वजनिक तौर पर छठ महोत्सव मनाने पर लेकर संशय बना हुआ था. वह भी साफ हो चुका है. लोग एक बार फिर कोरोना नियमों का पालन करते हुए दिल्ली में भी सार्वजनिक तौर पर छठ महापर्व को मना सकेंगे.
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ईटीवी भारत की टीम ने उत्तरी पश्चिमी दिल्ली के भलस्वा छठ घाट का जायजा लिया तो पाया कि छठ घाट पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. झील के किनारे पर कूड़े के ढेर लगे हुए हैं. हालांकि सार्वजनिक तौर पर अनुमति मिलने से पहले लोगों ने अपने स्तर पर सफाई कर कूड़ा निकाला गया था, उसके बाद भी झील में दोबारा कूड़ा डाला जा रहा है. झील के पानी में काई जमी हुई है. लोगों का कहना है कि यहां पर केमिकल युक्त पानी आता है. नालों का पानी झील में डाला जा रहा है, लोग झील के पानी में खड़े होकर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. झील में बढ़ी गंदगी से लोगों को चर्म रोग होने का खतरा भी बना हुआ है. हर बार दिल्ली सरकार की ओर से छठ घाट की सफाई कराई जाती थी लेकिन इस बार अभी तक कोई सफाई नहीं कराई गई है. हालात बदतर हैं, लेकिन लोग अपने स्तर पर खुद ही घाटों की सफाई कर रहे हैं ताकि लोगों द्वारा अपना घाट सुनिश्चित किया जा सके और खुशी के साथ छठ महोत्सव मनाया जा सके.